भाजपा से उन्नाव के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को आज दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट फैसला सुनाएगी। इस मामले में उन्नाव जिले के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भी आरोपी हैं।
कुलदीप सेंगर को दुष्कर्म के मामले में पहले ही सजा सुनाई जा चुकी है। उन्नाव और आसपास के जिलाें में कभी कुलदीप सिंह सेंगर के नाम का सिक्का चलता था। दुष्कर्म का आरोप लगने के बाद कुलदीप का साम्राज्य धीरे-धीरे तबाह होता चला गया।
उन्नाव में किशोरी से दुष्कर्म में आजीवन कारावास की सजा पाने वाले बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक कुलदीप सेंगर की विधानसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई है।
विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव ने इसकी अधिसूचना जारी की थी। अपर जिलाधिकारी ने बताया था कि भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अधिसूचना जारी कर उपचुनाव की तारीख दी जाएगी।
उन्नाव जिले की बांगरमऊ विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक रहते कुलदीप सेंगर पर गांव में ही रहने वाली युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था।
मुकदमे की जांच सीबीआई ने की और हाईकोर्ट से मुकदमा दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर होने के बाद वहीं सुनवाई हुई थी। कुलदीप सेंगर के दोषी साबित होने पर 20 दिसंबर 2019 को न्यायाधीश ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा के साथ ही पीड़िता को 25 लाख रुपये देने का आदेश दिया था।
उम्रकैद की सजा होने के बाद ही तय हो गया था कि उनकी विधानसभा की सदस्यता भी समाप्त होगी। एडीएम राकेश कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जारी अधिसूचना के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी। सजा होने की तिथि से सीट रिक्त मानी जाएगी। तय समय सीमा में बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र के लिए उप चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।
वर्ष 2015-16 में जिला पंचायत चुनाव के दौरान कुलदीप सेंगर सपा से भगवंतनगर से विधायक थे। उन्होंने पार्टी से बगावत कर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मैदान में उतारा था।
सत्ता दल से विरोध लेने के बाद भी उन्होंने अपने भाई मनोज सेंगर के साथ मिलकर ऐसी मोर्चेबंदी की थी कि सत्ता दल समर्थित प्रत्याशी ज्योति रावत को हार का सामना करना पड़ा था।