अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा कि धर्मगुरु दलाई लामा तिब्बती लोगों की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। पेलोसी ने कहा कि 2019 में दलाई लामा को भारत में शरण लिए 60 वर्ष हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक सभी तिब्बतियों को शांति, उम्मीद और समृद्धि के साथ रहने की आजादी नहीं मिलती है, अमेरिकी संसद कदम उठाती रहेगी।
प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष ने कहा, ‘तिब्बती लोगों ने 60 वर्ष पहले चीनी सरकार के दमन और क्रूर हमलों के खिलाफ आवाज उठाई थी ताकि वे अपने जीवन एवं स्वतंत्रता की रक्षा कर सकें।’ पेलोसी ने कहा, ‘हर वर्ष 10 मार्च को अमेरिकी उन लोगों की बहादुरी को याद करते हैं, जिन्होंने संघर्ष किया और इसके लिए अपनी जान न्यौछावर की। साथ ही अमेरिका तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के वादे को दोहराता है।’ उन्होंने कहा, ‘दलाई लामा कई दशकों से तिब्बती लोगों की मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उनका आशा का संदेश सभी स्वतंत्रता प्रेमियों को प्रेरित करता है।’
गौरतलब है कि चीन दलाई लामा को एक अलगाववादी बताता है जो तिब्बत को चीन से अलग करना चाहते हैं, लेकिन 1989 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए गए दलाई लामा का कहना है कि वह तिब्बतियों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता समेत अधिक अधिकार चाहते हैं।