कोरोना वायरस की महामारी के साथ ही उत्तर कोरिया भुखमरी के संकट से भी गुजर रहा है। उत्तर कोरिया में 1.2 मिलियन टन खाद्यान्न की कमी है। पहले से ही कुपोषण और अन्य बीमारियों से जूझ रही आबादी के लिए यह एक और गंभीर संकट खड़ा हो गया है, जिससे निपटना तानाशाह किम जोंग उन के लिए मुश्किल साबित होगा। गुरुवार को दक्षिण कोरिया के थिंक टैंक कोरिया डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूट ने यह जानकारी दी। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी समय पर नहीं मिल पा रही है। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि खाद्यान्न की कमी के चलते लाखों लोगों की मौत हो सकती है।

यहां तक कि खाने-पीने की चीजों को खरीदने के लिए लोग अपने घर का सामान तक बेचने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति में संकट को तुरंत दूर किए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्थ कोरिया में बीते साल 4 मिलियन टन अनाज का ही उत्पादन हुआ है, जबकि उसके लिए अपनी आबादी के हिसाब से 5.2 मिलियन टन अनाज की जरूरत थी। इस तरह से देखें तो उसे अपनी 26 मिलियन आबादी का पेट भरने के लिए 1.2 मिलियन टन अनाज की और जरूरत है। दरअसल बीते साल उत्तर कोरिया के बड़े कृषि क्षेत्र को बाढ़ और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था। इसके चलते उसकी फसल का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
उत्तर कोरिया में नरसंहार रोकने के अभियान से जुड़े राइट्स एक्टिविस्ट यंग चाइ सॉन्ग ने कहा, ‘हमें जानकारी मिल रही है कि लोग भुखमरी के शिकार हो रहे हैं और मर रहे हैं।’ उन्होंने द टेलीग्राफ से बातचीत करते हुए कहा कि इस तरह का संकट ऐसे दौर में शुरू हुआ है, जब उत्तर कोरिया आर्थिक कुप्रबंधन के दौर से गुजर रहा है। वह बड़ी रकम इन्फ्रास्ट्रक्चर को तैयार और लोगों के वेलफेयर पर खर्च करने की बजाय हथियारों और मिसाइलों पर लगा रहा है। वहीं इस संकट के दौर में दक्षिण कोरिया की ओर से उसे मदद की पेशकश की गई है, लेकिन उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई जवाब नहीं मिल सका है।
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