एक ओर सरकार लोगों को डेबिट कार्ड इस्तेमाल करने के लिए नए-नए तरीकों से प्रोत्साहित कर रही है वहीं बैंक आए दिन ही अपने ग्राहकों के अकाउंट से किसी न किसी बहाने पैसे काटते ही रहते हैं। अगर आपने थोड़ी सावधानी नहीं बरती तो आपके अकाउंट से हर बार कटेंगे 17 से 25 रुपए…
हर बार जब आपके अकाउंट में उपयुक्त बैलेंस नहीं होता और आप अपना डेबिट कार्ड एटीएम या पीओएस मशीन पर स्वाइप करते हैं तो आपके अकाउंट से 17 रुपए से लेकर 25 रुपए तक काट लिए जाते हैं और उसके साथ जीएसटी भी चार्ज किया जाता है। इसे ट्रांजेक्शन डिक्लाइन चार्ज कहते हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने ग्राहकों से इस तरह के ट्रांजेक्शन डिक्लाइन चार्ज के रूप में 17 रुपए तक वसूलता है जबकि एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक 25 रुपए चार्ज करते हैं। इस तरह बैंक अपने ग्राहकों से मनमर्जी पैसे वसूलते रहते हैं।
इसके पीछे बैंकों का यही तर्क है कि जिस तरह से चेक बाउंस होने पर ग्राहक से चार्ज लिया जाता है उसी तरह कार्ड डिक्लाइन होने पर भी उनसे चार्ज लिया जाता है। हालांकि चेक और कार्ड की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि चेक में तीसरी पार्टी शामिल होती है जबकि डेबिट कार्ड तो लोग पर्सनली यूज करते हैं। यहां तक कि नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया तो इस तरह के कार्ड स्वाइप को ट्रांजेक्शन ही नहीं मानता क्योंकि बैंक ने कोई पैसा दिया ही नहीं। इस तरह से इसके बदले पैसे चार्ज करना बेहद गलत है।
आईआईटी बांबे के मैथमैटिक्स के प्रोफेसर आशीष दास का इन चार्ज पर कहना है कि, गैर-नकद लेद देन के लिए हुए डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के लिए इस तरह से पैसे चार्ज करने का कोई मतलब नहीं है और यह सरकार की डिजिटल मनी इस्तेमाल करने की मुहिम को चोट भी पहुंचाती है। बता दें कि प्रोफेसर दास बैंक चार्ज पर कई रिसर्च रिपोर्ट ला चुके हैं और पूर्व में इनकी पॉलिसी निर्ध्रारण में भी हिस्सेदारी रह चुकी है।