बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं के स्तन से दूध लीक होना, लीकी ब्रेस्ट या स्तन से दूध का स्त्राव होना एक आम समस्या है और ज्यादातर महिलाएं इस समस्या का अनुभव करती हैं। हालांकि स्तन में पर्याप्त दूध बनना इस बात का संकेत होता है कि आपका बच्चा सही तरीके से स्तनपान कर रहा है। बच्चे को स्तनपान शुरू कराने के शुरूआती कुछ हफ्तों तक महिलाओं के स्तन से दूध बहता है लेकिन बाद में स्वतः बंद हो जाता है। हालांकि सभी महिलाओं में ऐसा नहीं होता है। कुछ महिलाओं में शुरू के छह से दस हफ्तों तक स्तन से दूध लीक होता है लेकिन धीरे-धीरे शरीर अपने को उसी अनुरूप ढाल लेता है और फिर ज्यादा परेशानी नहीं होती है।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के शरीर में दो तरह के हार्मोन बनते हैं। पहला प्रोलैक्टिन (prolactin) और दूसरा ऑक्सीटोसिन (oxytocin)। प्रोलैक्टिन स्तन में लगातार दूध का उत्पादन करने में सहायता करता है जबकि ऑक्सीटोसिन स्तन से दूध का स्राव करने में मदद करता है। लेकिन जब ऑक्सीटोसिन स्तन की मांसपेशी कोशिकाओं (muscle cells) को अधिक उत्तेजित करता है तो स्तन से अचानक अधिक दूध निकलने लगता है जिसे लेट डाउन (letdown) कहा जाता है।
यदि स्तन से दूध का अधिक स्राव हो रहा हो तो आपको गहरे रंग के या प्रिंटेड और मोटे कपड़े पहनने चाहिए। इसका कारण यह है कि इस तरह के कपड़े पहनने से यदि स्तन से दूध लीक होता है तो स्तन भीगा हुआ या गीला नहीं दिखायी देता है जिससे लोगों के बीच आपको शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ती है। जबकि हल्के रंग के या कॉटन के कपड़े पहनने से आपकी समस्या बढ़ सकती है।
चूंकि जन्म के छह महीनों तक बच्चे को सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए। इसलिए यदि आपको स्तन में अधिक दूध बन रहा हो जिसके कारण दूध लीक हो रहा हो तो आपको चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि बच्चे को अच्छी तरह स्तनपान कराना चाहिए। हालांकि हो सकता है कि यह आपके लिए संभव न हो लेकिन स्तनों को खाली करने का यह सर्वोत्तम तरीका है कि जब भी बच्चे को भूख लगे आप उसे सही तरीके से स्तनपान कराएं ताकि आपके स्तन से दूध का रिसाव बंद हो जाए।
यदि स्तन से दूध स्रावित हो रहा हो तो आप इसे किसी बर्तन में स्टोर कर सकती हैं। बड़े-बड़े शहरों में कामकाजी महिलाएं स्तन का दूध स्टोर करके अपने काम पर जाती हैं ताकि जब बच्चे को भूख लगे तो कोई भी व्यक्ति उसे वह दूध पिला सके। इसलिए स्तन में अगर अधिक दूध बन रहा हो तो आप स्तन पर हल्का दबाव देकर दूध को एक बर्तन में निकालकर रख लें और जरूरत पड़ने पर बच्चे को पिला दें।