दासी, फिर निराशा और फिर अवसाद। यह छोटी-सी भावना गहरा जाए तो जानलेवा हो जाती है। भारत जैसा खुशहाली में यकीन रखने वाला देश अवसाद के मामले में नंबर दो पर आ पहुंचा है। सचेत हो जाइए। समय रहते इससे छुटकारा पाना ही ठीक है। जितनी सतही यह समस्या लगती है, उसकी जड़ें उतनी ही गहरी बैठ जाती हैं। निराश ही तो है, कुछ दिन में अपने-आप मन बहल जाएगा। सब ठीक हो जाएगा। चलती बस में भाजपा नेता ने लड़की के साथ किया सेक्स वीडियो…आया सामने
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हम ऐसा ही तो सोचते हैं, जब कुछ दिनों से घर-परिवार में हमें कोई चुप-चुप, अलसाया सा, चिड़चिड़ाया सा दिखता है। हम वक्त को डॉक्टर मान कर निश्चिंत हो जाते हैं।(VIDEO: STYLE मूवी के साहिल खान का ट्रेलर लांच 2017) शायद हम भी नहीं जानते कि ऐसे में क्या करना चाहिए। पता ही नहीं होता कि वह व्यक्ति मानसिक तनाव की उस दहलीज पर है, जहां से तनाव निराशा और फिर अवसाद की जहरीली बेल में तब्दील हो सकता है।
फिर ये जहरीली बेल ना सिर्फ उस शिकार मन को खोखला कर देती है, बल्कि उसके तन पर भी असर करने लगती है। अगर इसे जड़ से न उखाड़ा जाए तो जानलेवा भी हो सकती है।
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