लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) की ट्रांसपोर्ट नगर योजना में अफसरों, दलालों और बाबुओं की मिलीभगत से 19 भूखंडों को फर्जी तरीके से बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। फर्जीवाड़े से लविप्रा को करीब बीस करोड़ का चूना लगा है। शिकायत पर लविप्रा ने भूखंडों की जांच शुरू कर दी है। ट्रांसपोर्ट नगर में एफ ब्लॉक, सी, ई, एस, जी व एम ब्लाक में बड़े भूखंडों में हेराफेरी हुई। अब तक की जांच में सामने आया है कि रजिस्ट्री में फर्जी हस्ताक्षरों के जरिए खेल किया गया।
घोटाले को दबाने के लिए कई भूखंडों की मूल रजिस्ट्री भी कर्मचारियों ने गायब करा दी। कुल 1250 भूखंड वाली योजना में से अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक भूखंड फर्जी तरीके से बेच दिए गए। मामला खुलने के बाद अब एलडीए के अफसर प्रत्येक भूखंड के दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। सचिव पवन कुमार के मुताबिक हर भूखंड की जांच होगी। पैसा जमा करने से लेकर रजिस्ट्री आफिस और लविप्रा में रखी रजिस्ट्रियों में हस्ताक्षरों का सत्यापन कराया जा रहा है। कई हस्ताक्षर गलत मिले हैं। कुछ फाइलों में पैसा भी कम जमा किया गया है।
इन भूखंडों पर उठे सवालः जी 69 मुकेश कुमार, जी 18/308 साधना सिटी होम प्रा. लिमिटेड, एफ 45/308, एफ 275, एफ 481, एफ 92, एफ 250, एफ 340, ई 73 फेस टू, जी 18/308 फेस वन, जी 34/308 फेस टू, एमजी वन और एम जी टू हैं।
इनकी नहीं मिल रही फाइलेंः सी 63, ई 301, ई 418 ए, एफ 249, एस 10/105, एस 10/106 हैं। उक्त भूखंडों की फाइलें लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों व बाबुओं को नहीं मिल रही हैं। खासबात है इन भूखंडों का कोई आवंटी भी नहीं आया है।
सभी संदिग्ध भूखंडों की जांच शुरू कर दी गई है। जैसे-जैसे जांच होती जाएगी, उनकी फाइलें भी अपडेट की जाएंगी। फर्जी रजिस्ट्री वाले भूखंडों पर लविप्रा अपना कब्जा लेगा और उन्हें नीलाम करेगा। दोषियों पर कार्रवाई तय है।