टायफाइड के रोगियों में इजाफा हो रहा है। अस्पतालों की इमरजेंसी में भर्ती होने वाले अधिकतर मरीज इससे पीड़ित मिल रहे हैं या लिवर-किडनी में संक्रमण है। प्लेटलेट भी कम मिल रही है। सिर्फ हैलट में बीते तीन दिनों में टायफाइड के 27 मरीज भर्ती कराए गए हैं।

हैलट के मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि किसी भी तरह का संक्रमण लम्बे समय तक बना रहने से मरीज बुखार की चपेट में जा रहे हैं। कई बीमारियों के साथ टायफाइड भी पॉजिटिव आ रहा है। इससे प्लेटलेट कम हो रही हैं। निश्चित मात्रा में फ्लूड देने से मरीजों को राहत मिल रही है। हालांकि अगर डेंगू या मलेरिया पॉजिटिव हैं तो बेहद एहतियात के साथ फ्लूड देना पड़ता है। झोलाछाप के इलाज को बाद अधिक फ्लूड से बिगड़े केस हैलट में आ रहे हैं। मेडिसिन विभाग के प्रो. जेएस कुशवाहा का कहना है कि अगर तीन दिन बुखार सामान्य पैरासिटामाल से नहीं उतरे तो हैलट आकर दिखाएं। बुखार किसी भी संक्रमण से संभव है। बेहतर इलाज से मरीजों को आगे दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता है।
एचडीयू फुल, इमरजेंसी में बढ़ाए गए संसाधन
मेडिसिन विभाग में मरीजों की संख्या को देखते हुए इमरजेंसी में संसाधन बढ़ाए गए हैं। एचडीयू फुल होने से पैरालिसिस के मरीजों को भर्ती करने में दुश्वारी आ रही है। पहले से ही आईसीयू फुल चल रहा है। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या के मुताबिक कोविड आईसीयू के कुछ उपकरणों का इस्तेमाल सामान्य मरीजों में किया जा रहा है।
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