सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एफिडेविट पर जिलाधिकारियों के जवाब देने पर चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस मामले में जिलाधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कासगंज, बाराबंकी और जौनपुर के जिलाधिकारी जिस तरह से हमारे एफिडेविट पर सक्रिय हो गए हैं। उससे यह तो साबित हो गया है कि चुनाव आयोग की एफिडेविट न मिलने की बात झूठी निकली। उन्होंने कहा कि अब जिलाधिकारी इन पर सतही जवाब देकर खानापूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले में इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए।
अखिलेश यादव ने एक्स पर कहा कि डीएम लोगों से जनता का एक मासूम सवाल है, क्यों इतने वर्षों बाद आया जवाब है?
… जिस तरह कासगंज, बाराबंकी, जौनपुर के डीएम हमारे 18000 शपथपत्रों के बारे में अचानक अति सक्रिय हो गये हैं, उसने एक बात तो साबित कर दी है कि जो चुनाव आयोग कह रहा था कि ‘एफिडेविट की बात गलत है’ मतलब एफिडेविट नहीं मिले, उनकी वो बात झूठी निकली। अगर कोई एफिडेविट मिला ही नहीं, तो ये जिलाधिकारी लोग जवाब किस बात का दे रहे हैं। अब सतही जवाब देकर खानापूर्ति करेनवाले इन जिलाधिकारियों की संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए। कोर्ट संज्ञान ले, चुनाव आयोग या डीएम में से कोई एक तो गलत है ही ना?
जो सीसीटीवी पर पकड़े गये हों उनके द्वारा अपने घपलों पर दी गई सफाई पर किसी को भी रत्ती भर विश्वास नहीं है। झूठ का गठजोड़ कितना भी ताकतवर दिखे पर आखिरकार झूठ हारता ही है क्योंकि नकारात्मक लोगों का साझा-गोरखधंधा अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति करने के लिए होता है, ऐसे भ्रष्ट लोग न तो अपने ईमान के सगे होते हैं, न परिवार, न समाज के, तो फिर भला अपने साझेदारों के कैसे होंगे। ये बेईमान लोग देश और देशवासियों से ताउम्र दगा करते हैं और अंततः पकड़े जाने पर अपमान से भरी जिंदगी जीने की सजा काटते हैं।
भाजपा सरकार, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत वो ‘चुनावी तीन तिगाड़ा’ है, जिसने सारा काम बिगाड़ा है और देश के लोकतंत्र पर डाका डाला है। अब जनता इस ’त्रिगुट’ की अदालत लगाएगी…।
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