Jharkhand Politics सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को लेकर झारखंड के सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म है। चर्चा के मुताबिक आने वाले दिनों में वे हेमंत सोरेन के तारणहार हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि कपिल सिब्बल झारखंड से झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के संयुक्त तौर पर राज्यसभा उम्मीदवार होंगे। इसके बदले में वे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चुनाव आयोग की नोटिस के बाद आए राजनीतिक संकट में कानूनी सहायता उपलब्ध कराएंगे।
मुख्यमंत्री, राज्यपाल या चुनाव आयोग द्वारा अपदस्थ किए जाने की संभावित कार्रवाई से बचने के लिए फिलहाल एक मंजे हुए कानूनी विशेषज्ञ या नामचीन वकील की तलाश में हैं। जो उनके मामले को कोर्ट में कानूनी दावपेंच के साथ मजबूती से रख सके और उनके पक्ष में फैसला दिला सके। इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि कपिल सिब्बल हेमंत सोरेन को इस संकट से उबारने की फीस के तौर पर राज्यसभा की सीट अपने लिए मांग सकते हैं। कयासों के दौर के बीच अबतक सत्ता पक्ष या विपक्ष की ओर से प्रामाणिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की जा रही।
बहरहाल, झारखंड के ताजा सियासी हालात की बात करें तो निकट भविष्य में हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता पर बड़ा संकट आन खड़ा हुआ है। उन पर अपने नाम पर खदान लीज लेने, दाेहरा लाभ का पद के मामले में अयोग्यता की तलवार लटक रही है। चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को भारतीय जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए के तहत कार्रवाई का नोटिस दिया है। जिस पर पहले हेमंत सोरेन को 10 मई तक अपना पक्ष रखने को कहा गया था। लेकिन हेमंत सोरेन ने अपनी मां रूपी सोरेन की बीमारी का हवाला देते हुए आयोग से कहा कि वे तय समय में नोटिस नहीं पढ़ पाए। जवाब देने के लिए एक महीने का समय दिया जाए। अब इस मामले में भारत निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को 10 दिन का और समय अपना पक्ष रखने के लिए दिया है।
इस बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने इशारे-इशारे में बड़ा राज खोल दिया है। बाबूलाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर लिखे अपने संदेश में कहा है कि ऐसी चर्चा है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को भ्रष्टाचार से उत्पन्न संकट से कुछ दिनों तक जीवनदान दिलाने की कानूनी सहायता के बदले एक बाहरी नामी व्यक्ति ने उनसे राज्यसभा सीट की मांग कर दी है। इस ट्वीट में बाबूलाल ने अघोषित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील, कानूनविद की ओर इशारा किया है। जिसे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से जोड़कर देखा जा रहा है। कपिल सिब्बल 31 मार्च 2022 को राज्यसभा से रिटायर हुए हैं।
इस क्रम में बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि चोरी, बेईमानी व झारखंड के गरीबों की जल, जंगल जमीन, पत्थर, बालू लूटकर बेहिसाब दौलत इकट्ठा करने वाले सोरेन परिवार का स्याह चेहरा जब भी उजागर होता है, तो ये लोग खुद को बचाने के लिए आदिवासी बताने का ढाल का इस्तेमाल करने लगते हैं। बाबूलाल ने सवालिया लहजे में हेमंत सोरेन से पूछा- हेमंत सोरेन जी, आदिवासी का मतलब सिर्फ सोरेन परिवार ही होता है क्या?
इधर, झारखंड भाजपा की ओर से भी ट्वीट कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को निशाने पर लिया गया। भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने लिखा- माननीय हेमंत सोरेन जी ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी माताजी रूपी सोरेन शीघ्र स्वस्थ हों और जल्द रांची वापस आए। लेकिन एक बात समझाएं कि जब आप झारखंड हाई कोर्ट में तीन दिन पहले खदान लीज के लगभग एक समान मुद्दे पर जवाब दाखिल कर सकते हैं, तो फिर इलेक्शन कमीशन में अपना जवाब क्यों नहीं दिया? इस ट्वीट को हेमंत सोरेन, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस, गृह मंत्री अमित शाह और चुनाव आयोग के साथ टैग किया गया है।