सर्व विद्या की राजधानी काशी के ज्योतिषियों ने जो गणना की है उसके मुताबिक मई माह कुछ अच्छा नहीं गुजरेगा। ऐसा होगा मंगल और शनि के कारण। हालांकि इससे डरने की जरूरत नहीं है।
ज्योतिषियों की मानें तो अगले महीने भूकंप का योग बन रहा है। भूकंप का क्षेत्र भारत सहित भारत से पूर्व, उत्तर व दक्षिण होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार अभी तक जो भी भूकंप आए हैं, उस दौरान मंगल पाप ग्रहों से पीड़ित रहा था। 28 मई को एक बार वैसा ही योग फिर बन रहा है। 28 मई को शाम 4:40 बजे से आरंभ यह योग 31 मई की देर रात 2:28 बजे तक रहेगा।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री आचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार 24 अप्रैल से चार जुलाई के मध्य शनि व बृहस्पति एक साथ आकाश मंडल में वक्री रहेंगे। इन ग्रहों के दुर्योग के बीच एक महादुर्योग आकाशमंडल में बनेगा, जिससे भूकंप नामक योग बनेगा। फलित ग्रंथ नारदीय संहिता के मयूर चित्रक में ज्योतिष विज्ञान में मौसम विज्ञान का वर्णन है। इसमें वर्षा, झंझावात, उल्कापात, महामारी और भूकंपयोग का वर्णन है।
उन्होंने बताया कि मंगल ग्रह एक से दो मई की मध्यरात्रि धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा और छह महीने यही रहेगा। मंगल प्राय: एक राशि में डेढ़ महीने रहता है। वहीं दूसरी तरफ गोचर में प्रमुख फल देने वाले बृहस्पति व शनि भी वक्री होंगे। न्याय के देवता शनि भी धनु राशि पर 24 अप्रैल को वक्री हो जाएंगे।
अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर जनरल डॉ. पीएस दूबे ने कहा कि इस समय शनि का प्रभाव पड़ रहा है। पांच महीने तक इसका प्रभाव रहेगा। सूर्य में विक्षोभ और शनि की मैग्नेटिक शक्ति इस तरह का संयोग बना रही है। ज्योतिषीय गणना में भी यदि ऐसे ही आसार हैं तो इससे विज्ञान भी सहमत है।
समृद्ध न्यास परिषद के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति त्रिपाठी ने कहा कि बादलों के विन्यास के आधार पर भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है। वाराह मिहिर ने 502 ईसा पूर्व में ऐसा किया था। सरकार सैटेलाइट से बादलों के विन्यास और भूकंप का अध्ययन करे तो पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।