सनातन धर्मावलंबियों में जिउतिया (जीमूतवाहन) व्रत का खास महत्व है। इस व्रत को जितिया या जीउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जानते हैं। अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत का बड़ा महात्म्य है। इस दिन वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं यह व्रत रखती है। इस वर्ष यह व्रत 10 सितंबर 2020, गुरुवार को किया जाएगा।
इस व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अश्वथामा अपने पिता की मृत्यु की वजह से क्रोध में था। वह अपने पिता की मृत्यु का पांडवों से बदला लेना चाहता था।
इस दिन मिथिला में मड़ुआ रोटी और मछली खाने की परंपरा है। जिउतिया व्रत से एक दिन पहले सप्तमी को मिथिलांचलवासियों में भोजन में मड़ुआ रोटी के साथ मछली भी खाने की परंपरा है। जिनके घर यह व्रत नहीं भी होता है उनके यहां भी मड़ुआ रोटी व मछली खाई जाती है। व्रत से एक दिन पहले आश्विन कृष्ण सप्तमी को व्रती महिलाएं भोजन में मड़ुआ की रोटी व नोनी की साग बनाकर खाती हैं।