प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू कश्मीर में प्रस्तावित परिसीमन पर लोगों को गुमराह करने वाले नेताओं पर बड़ा बयान दिया है. डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि परिसीमन पर चिंताएं जता रहे इन नेताओं को अब इस बात की चिंता करनी चाहिए कि कहीं उनके विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित ना किया जाए.

जम्मू में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की पेंशन अदालत को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की नई व्यवस्था में रोजगार के कई नए साधन भी आएंगे.
उन्होंने कहा कि जिन राजनेताओं को परेशानी हो रही है उनके रोजगार की गारंटी कोई नहीं दे सकता. उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसा हुआ है कि नई व्यवस्था के चलते जो राजनेता बेरोजगार हुए हैं उन्हें अब अपने रोजगार की चिंता सताने लगी है.
डॉ सिंह ने कहा कि आजकल प्रदेश में परिसीमन पर कोई भी नेता उठ कर बात कर लेता है. उन्होंने कहा कि परिसीमन भी होगा और जो नेता इसकीअधिक चिंता कर रहे हैं उन्हें यह सुझाव दिया जाए कि कहीं उनके विधानसभा क्षेत्र को आरक्षित ना किया जाए.
जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री लगतार इस बात को दोहरा रहे हैं कि जिस तरह भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों का विकास किया गया है उसी तर्ज पर जम्मू कश्मीर में विकास किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले उत्तर पूर्वी राज्य किसी और वजह से खबरों में होते थे. यहां से विद्रोह, नाकाबंदी, हिंसा, भ्रष्टाचार और विकास पर लगी ब्रेक की खबरें आती थी.
जम्मू कश्मीर के आतंकवाद और उत्तर पूर्वी राज्यों में 2014 से पहले जारी विद्रोहों में फर्क बताते हुए डॉ सिंह ने कहा कि उत्तरपूर्वी राज्यों में सड़कों पर अवरोध महीनों तक चलते थे और लोगों के पास राशन और खाने पीने की चीज़ों की किल्लत होती थी.
वहीं उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में एक भाई अगर आतंकवादी होता है तो दूसरा भाई अधिकारी होता है. उन्होंने दावा किया कि अब उत्तरपूर्वी राज्यों में 2014 से पहले का समय किसी को याद नहीं.
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