जापान ने करीब 15 साल में पेट्रोल-डीजल वाहनों को पूरी तरह हटाने का लक्ष्य रखा है. जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने 2050 तक जापान को कॉर्बन मुक्त करने और हरित कारोबार (ऐसा कारोबार जिसमें कार्बन का उत्सर्जन न हो) और निवेश में करीब 2,000 अरब डॉलर की वृद्धि का लक्ष्य रखा है.
जापान ने इस अभियान को ‘हरित वृद्धि रणनीति’ का नाम दिया है. इस अभियान के तहत कल कारखानों को अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) और हाइड्रोजन से चलाने के लिए कहा जा रहा है. वहीं गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों से कहा गया है कि वे 2030 के मध्य तक जीरो कॉर्बन एमिशन यानी कि कार्बन उत्सर्जन को खत्म करने के लक्ष्य हासिल करने का प्रयास करें.
प्रधानमंत्री सुगा ने अक्टूबर में अपने एक भाषण में 30 साल में कॉर्बन उत्सर्जन बिल्कुल खत्म करने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि ऐसे समय जबकि दुनिया पर्यावरण की चुनौतियों का सामना कर रही है, हमें ग्रीन इनवेस्टमेंट को बढ़ावा देना चाहिए. इस रणनीति के तहत अलग-अलग सेक्टर में लक्ष्य हासिल करने का खाका खींचा गया है. इसके तहत बिजली की मांग में 30 से 50 की वृद्धि का अनुमान है.
बिजली की मांग को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के उत्पादन को मौजूदा की तुलना में तीन गुना करना होगा. देश के कुल ऊर्जा उत्पादन में इसका हिस्सा करीब 50 से 60 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. जो नई रणनीति है उसके तहत विंड एनर्जी से 2040 तक 45 गीगावाट्स एनर्जी तैयार करनी है. 2030 तक सभी थर्मल पावर प्लांट में फॉसिल फ्यूल को 20 प्रतिशत तक कम करना है. हाइड्रोजन की खपत बढ़ाते हुए 2050 तक इसे 20 मिलियन टन तक ले जाना है.
जापान में नए तरह के न्यूक्लियर रिएक्टर्स बनाए जाएंगे. 2030 तक गैसोलीन पर चलने वाली कारों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. 2030 तक सेमीकंडक्टर्स के जरिये होने वाली बिजली खपत को आधा कर देना है. पानी के जहाज के क्षेत्र में 2050 तक काम करते हुए पारंपरिक ईंधन को हटाकर हाइड्रोजन में तब्दील किया जाएगा. कृषि के क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर ले जाना है. विमान भी बिजली से उड़ेंगे और इसके लिए क्लीनर फ्यूल्स बनाया जाएगा.