New Delhi: भगवान बुद्ध एक महान व्यक्तित्व थे जो अपने कर्मों और उपदेशों के कारण अमर हैं। आज आपको बता रहे हैं कि भगवान बुद्ध ने क्यों कहा था कि उनका गला काट दो।किसी राज्य में यज्ञ के लिए एक राजा बकरे की बलि चढ़ाने जा रहा था। उसी समय भगवान बुद्ध वहां से गुजर रहे थे। राजा को ऐसा करते देखा तो वह राजा से बोले कि ठहरो राजन! यह क्या कर रहे हो। इस बकरे की बलि क्यों देने जा रहे हो आखिर किस लिए?राजा बोले ऐसा करने से मुझे पुण्य मिलेगा और यह हमारी प्रथा है। इस बात पर भगवान बुद्ध बोले अगर ऐसी बात है तो बकरे की नहीं मेरी बलि चढ़ा दो इससे तुम्हें ज्यादा पुण्य मिलेगा। बकरे के मुकाबले एक मनुष्य के बलि से तुम्हारे भगवान ज्यादा खुश होंगे।
ऐसा सुनकर राजा डर गया क्योंकि बकरे की बलि देना आसान था। राजा ने कभी नहीं सोचा था कि बकरे की तरफ से बोलने वाला कोई होगा लेकिन बुद्ध की बलि बात आते ही राजा डर गया।उसने कहा, अरे नहीं महाराज! आप ऐसी बात न करें। इस बारे में तो मैं सोच भी नहीं सकता। बकरे की बात अलग है। ऐसा तो सदियों से होता आया है और फिर इसमें किसी का नुक्सान भी तो नहीं। बकरे का भी फायदा ही है। वह सीधा स्वर्ग चला जाएगा।
बुद्ध बोले कि, ‘ यह तो बहुत अच्छा है, मैं स्वर्ग की तलाश कर रहा हूं तुम मुझे बहल चढ़ा दो और मुझे स्वर्ग भेज दो। या ऐसा क्यों नही करते कि अपने माता पिता को ही स्वर्ग क्यों नहीं भेज देते हो या खुद के बारे में के नहीं सोचा। जब स्वर्ग जाने की ऐसी आसान और सुगम तरकीब मिल गई है तो काट लो अपनी गर्दन इस बेचारे बकरे को क्यों भेज रहे हो स्वर्ग । हो सकता है यह स्वर्ग जाना ही नहीं चाहता हो। बकरे को खुद ही चुनने दो कि उसे कहां जाना है।राजा के सामने अपने तर्कों की पोल खुल चुकी थी। वह महात्मा बुद्ध के चरणों में झुक कर बोला, ‘महाराज आपने मेरी आंखों पर पड़े अज्ञान के पर्दे को हटाकर मेरा जो उपकार किया है वह मैं भूल नहीं सकता।