इस नश्वर संसार में कोई भी इंसान अमर नहीं है. हर जन्म लेने वाले प्राणी को आखिरकार इस दुनिया से विदा लेना पड़ता है. जब किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो आपने देखा होगा कि शव यात्रा के दौरान साथ में चलने वाले लोग राम नाम सत्य है बोलते हैं. ऐसा लोग क्यों करते हैं और इसके पीछे की वजह क्या है, आइए जानते हैं.
हिंदी भाषा

वैसे तो किसी को ज्ञात नहीं है कि राम नाम सत्य बोलना कब शुरू किया गया. क्या ये हिंदी भाषा का शब्द है या फिर संस्कृत से इसे लिया गया है. विद्वानों का मानना है कि ‘राम नाम सत्य है’ वाक्य हिंदी भाषा से लिया गया है. हिंदी भाषा की उत्पत्ति अमीर खुसरो के बाद से हुई थी. उससे पहले केवल संस्कृत बोली जाती थी, हिंदी नाम की कोई भाषा नहीं थी.
अमर
लोग अक्सर ये सोचते हैं कि वह इस दुनिया में हमेशा रहेंगे, कभी मरेंगे नहीं, लेकिन जब किसी की अर्थी उठती है तो करोड़पति आदमी भी कंधे पर ही जाता है. बाकी लोगों का आना-जाना लगे रहता है. अमीर हो या गरीब हिंदू धर्म में सबकी अर्थी राम नाम से ही उठती है.
यक्ष प्रश्न
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार यक्षों ने युधिष्टिर से पूछा कि दुनिया की सबसे आश्चर्यजनक चीज तुमने क्या देखी है. इसका सही जवाब दोगे तो तुम्हारे भाई जीवित हो उठेंगे, वरना सब मृत ही पड़े रहेंगे. ऐसे में जवाब में यूधिष्टर ने कहा कि यक्ष महाराज दुनिया में सबसे विचित्र चीज जो मैंने देखी है, वह श्मशान घाट है.
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