हरिद्वार की सृष्टि गोस्वामी को 24 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है। आखिर हो भी क्यों नहीं, इसी दिन उन्हें एक दिन के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालनी है। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर इसके लिए खास उनका चयन किया गया है। वह कहती हैं ‘मैं बहुत खुश हूं और गर्व महसूस कर रही हूं। बतौर मुख्यमंत्री मुझे विभिन्न विभागों की समीक्षा करनी है और सुझाव देने हैं। मेरा फोकस बालिकाओं की सुरक्षा पर रहेगा।’
हरिद्वार के पास दौलतपुर गांव की रहने वाली सृष्टि के पिता प्रवीण पुरी गांव में ही किराने की दुकान चलाते हैं और मां सुधा गृहणी हैं। सृष्टि के एक दिन का मुख्यमंत्री बनने पर गांव के लोग भी गर्व महसूस कर रहे हैं। घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार जताते हुए सृष्टि कहती हैं कि ‘बेटियां किसी से कम नहीं हैं। माता-पिता को समझना चाहिए कि अवसर मिले तो वे किसी भी चुनौती को स्वीकार कर सकती हैं।’
रुड़की के बीएसएम कॉलेज से बीएससी (एग्रीकल्चर) की छात्रा सृष्टि कहती हैं कि उनका सपना है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनें। दो वर्ष से सृष्टि ‘आरंभ’ नाम से अभियान चला रही हैं। इसके तहत वह गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें निश्शुल्क पुस्तकें भी उपलब्ध करा रही हैं। मां सुधा कहती हैं कि देश के हर माता-पिता को अपनी बेटी और बेटे को बराबरी के अवसर देने चाहिए। बेटियों को कभी आगे बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए, क्योंकि जो हक बेटों के है, वही बेटियों के भी हैं।
थाइलैंड में कर चुकी हैं भारत का प्रतिनिधित्व
वर्ष 2019 में सृष्टि थाइलैंड में आयोजित गर्ल्स इंटरनेशनल लीडरशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इसके अलावा वह वर्ष 2018 से बाल विधानसभा में मुख्यमंत्री के पद का दायित्व भी निभा रही हैं। इस विधानसभा का गठन स्वयंसेवी संस्था भुवनेश्वरी आश्रम और राज्य बाल संरक्षण आयोग करता है। इसका मकसद बच्चों में नेतृत्व के गुण विकसित करना है।