इसी तरह घनिष्ठा से रेवती तक जो पांच नक्षत्र (घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती) होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है. प्राचीन ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं.

हिंदू धर्म में पंचक को शुभ नहीं माना जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और गुरुवार का दिन है. साथ ही 15 नवंबर की रात 10 बजकर 18 मिनट से 20 तारीख की शाम 06 बजकर 35 मिनट तक पंचक नक्षत्र रहेंगे. इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है. नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है. जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं.
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पंचक में बरती जानें वाली सावधानियां
हिंदू धर्म में माना जाता है कि पंचक के दिनों में चारपाई बनवाना अच्छा नहीं होता है. इसलिए चारपाई 5 दिन बाद बनवाएं. इसी तरह अगर मकान बन रहा है, तो इन दिनों में ढलाई नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि पंचक में अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लगता है. इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें. इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें.
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