कभी-कभी जिज्ञासु मन पूछ बैठता है कि क्या वाकई सपनों में भविष्य की घटनाओं का संकेत मिलता है या फिर सपनों का वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं होता। सपनों के संसार को समझने के लिए मानव मन के विज्ञान को जानना आवश्यक है। स्वप्न विज्ञान का प्रमुख आधार है, मानव मन। निद्रावस्था में शरीर के शिथिल हो जाने पर भी मानव मन-मस्तिष्क सक्रिय रहता है। मन के अंदर कई परतों का समावेश है, जिसमें चेतन मन, अवचेतन मन और अर्द्धचेतन मन का प्रमुख योगदान है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क को दिनभर में घटनाक्रम के रूप में अनेक संकेत प्राप्त होते हैं। व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति द्वारा प्राप्त होने वाले इन अनुभवों का प्रभाव मन मस्तिष्क पर पड़ता है। फलस्वरूप हम बहुत-सी कल्पनाएं करते हैं। सोच-विचार करते हैं और योजनाएं बनाते हैं। हमारे द्वारा बनाई गई सभी योजनाएं पूर्ण नहीं हो सकती हैं। इसलिए हमारी अतृप्त इच्छाएं स्मृति पटल पर गहरे रूप में अंकित हो जाती हैं, जो सुप्त अवस्था में स्वप्नों के माध्यम से जागृत हो जाती हैं।
सामाजिक परिवेश में हम जिन भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त नहीं कर पाते, वहीं भावनाएं हमारे चेतन मन से अवचेतन मन में जाकर दर्ज हो जाती हैं। रात्रि में जब शरीर आराम कर रहा होता है, तब यह स्वप्न रूप में प्रकट होती हैं। अवचेतन मन का निद्रावस्था में विचरण ही स्वप्नों का मूल कारण है। निद्रावस्था में चेतन मन कार्य नहीं करता, क्योंकि वह शरीर के सो जाने पर सो जाता है। किन्तु अवचेतन मन उस दशा में भी उसके आसपास रहता है और पूर्ण रूप से जागृत अवस्था में होता है।
जागृत अवस्था में हम अनेक कल्पनाएं करते हैं, अनेक बातों पर विचार करते हैं और अनेक दृश्य देखते हैं। चेतन मन तो इन सब बातों को भूल जाता है किन्तु अवेचतन मन उस सब बातों, कल्पनाओं एवं दृश्यों से जुड़ा रहता है। अवचेतन मन के साथ जुड़ी वही बातें, वही कल्पनाएं और वही दृश्य हमें निद्रावस्था में स्वप्न में दिखाई देते हैं। स्वप्न में किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति का प्रतिबिम्ब हमेशा यथावत एवं स्पष्ट नहीं होता है। अतः संकेतों की भाषा अथवा स्वप्न रहस्यों को सुलझाने के लिए पंडित/ज्योतिषी की आवश्यकता पड़ती है।
सपने तीन स्तर पर काम करते हैं। एक वे जो मानसिक अवस्था और प्रवृत्तियों का संकेत देते हैं। दूसरे वे जो परा-भावनाओं के प्रतीक होते हैं और समस्याओं को सुलझाने में मदद करते हैं। तीसरे वे जो आध्यात्मिक चेतना के शिखर तक का मार्ग दिखा सकते हैं। अधिकांश स्वप्न केवल स्वप्न मात्र ही रह जाते हैं। इनका हमारी दिनचर्या पर कोई असर नहीं होता, जबकि कुछ स्वप्न हमारे जीवन पर साक्षात प्रभाव डालते हैं और स्वप्न में देखीसामाजिक परिवेश में हम जिन भावनाओं को खुलकर अभिव्यक्त नहीं कर पाते, वहीं भावनाएं हमारे चेतन मन से अवचेतन मन में जाकर दर्ज हो जाती हैं।
रात्रि में जब शरीर आराम कर रहा होता है, तब यह स्वप्न रूप में प्रकट होती हैं। अवचेतन मन का निद्रावस्था में विचरण ही स्वप्नों का मूल कारण है। निद्रावस्था में चेतन मन कार्य नहीं करता, क्योंकि वह शरीर के सो जाने पर सो जाता है। किन्तु अवचेतन मन उस दशा में भी उसके आसपास रहता है और पूर्ण रूप से जागृत अवस्था में होता है।
जागृत अवस्था में हम अनेक कल्पनाएं करते हैं, अनेक बातों पर विचार करते हैं और अनेक दृश्य देखते हैं। चेतन मन तो इन सब बातों को भूल जाता है किन्तु अवेचतन मन उस सब बातों, कल्पनाओं एवं दृश्यों से जुड़ा रहता है। अवचेतन मन के साथ जुड़ी वही बातें, वही कल्पनाएं और वही दृश्य हमें निद्रावस्था में स्वप्न में दिखाई देते हैं। स्वप्न में किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति का प्रतिबिम्ब हमेशा यथावत एवं स्पष्ट नहीं होता है। गई स्थिति वास्तविक जीवन में घटित होती है।
दिन में देखे गए स्वप्न, मानसिक तनाव के दौरान देखे गए स्वप्न, शारीरिक बीमारी के कारण चिन्ताग्रस्त होने पर देखे गए स्वप्न तथा मादक द्रव्यों का सेवन करने के पश्चात देखे गए स्वप्न प्रायः निष्फल होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न दृश्य हों, तो अंतिम स्वप्न ही फलदायक होता है। सूर्योदय से कुछ समय पूर्व देखे गए स्वप्न तत्काल फल देने वाले होते हैं।