विश्व हिंदू परिषद और कई हिंदू संगठन इसका हिस्सा हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहली बार इसे ना केवल खुला समर्थन दिया है, बल्कि प्रबंधन का जिम्मा भी संभाला है। राम मंदिर को लेकर 1992 के बाद एक बार फिर अयोध्या में हिंदू संगठनों का जमावड़ा हुआ है। सियासत गर्म है, लेकिन अयोध्या शांत नजर आती है। राम मंदिर विवाद से जुड़े लोग कहते हैं- हमें डर नहीं, 1992 जैसा कुछ दिखाई नहीं देता। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे आज अयोध्या पहुंचेंगे। पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाने के लिए 2 स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की गई है। उद्धव शनिवार को लक्ष्मण किले में संतों से मुलाकात के अलावा शाम को सरयू आरती में शामिल होंगे। रविवार सुबह राम लला दर्शन का कार्यक्रम है। इसी दिन अयोध्या में धर्म सभा बुलाई गई है।
24-25 नवंबर के लिए क्या हैं हिंदू संगठनों की तैयारियां?
शिवसेना: उद्धव 2 बजे लक्ष्मण किला में संत आशीर्वाद सम्मेलन में शामिल होंगे। यहां राम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, भाजपा सांसद लल्लू सिंह, भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता को भी बुलाया गया है। 2 विशेष ट्रेनें शिवसैनिकों को लेकर पहुंचेंगी। इनमें करीब 4 हजार शिवसैनिकों के आने की उम्मीद है। उद्धव की रैली को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है।
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संघ और विहिप: रविवार को धर्म सभा की तैयारियां पूरी हो गई हैं। भक्तमाल बगिया में होने कार्यक्रम का प्रबंधन इस बार संघ देख रहा है, विहिप सहयोग कर रही है। 100 बीघे के इस आयोजन स्थल पर देशभर से करीब 2 लाख लोगों के आने का अनुमान है। इनमें साधु, संत, विहिप-भाजपा-संघ के कार्यकर्ता होंगे। हालांकि, सभा के मंच पर साधु-संत बैठेंगे, कोई राजनेता नहीं।
प्रशासन ने क्या इंतजाम किए?
अयोध्या और आस-पास के जिलों की पुलिस बुलाई गई है। 70 हजार जवानों की तैनाती की गई है। पीएसी की 48 कंपनियां, आरएएफ की 5 कंपनियां भी अयोध्या में रहेंगी। एटीएस कमांडो भी तैनात किए गए हैं। पूरी अयोध्या पर ड्रोन कैमरों से नजर रखी जाएगी।
खुफिया विभाग के अफसर और उनकी टीमें पहले से ही एक्शन में आ चुकी हैं।
शिवसेना, विहिप, संघ और हिंदू संगठनों का जमावड़ा क्यों?
शिवसेना के लिए राम मंदिर मुद्दा टेस्ट है। वह महाराष्ट्र से बाहर भी निकलना चाहती है। मंदिर मुद्दे पर शिवसेना ने बढ़त हासिल कर ली तो 2019 के चुनावों में भाजपा के सामने शर्तें रखने की स्थिति में होगी। बाल ठाकरे के निधन के बाद अब तक भाजपा ने शिवसेना के मुद्दे उठाए भी और बढ़त भी हासिल की।
दोनों ने कहा- जहां तक बात धर्म सभा की है, तो ये भाजपा के लिए परीक्षा की तरह है। भाजपा यह देखना चाह रही है कि मंदिर मुद्दे में कितना दम है। 2019 चुनाव में ये कितना असर डालेगा और 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के नतीजे भी यह बता देंगे कि मंदिर मुद्दा और धर्म सभा का क्या असर रहा।
शिवसेना सांसद ने ऊद्धव के दौरे से एक दिन पहले कहा- शिवसैनिक अयोध्या आ रहे हैं, लेकिन भक्तों के तौर पर। ऊद्धव भी आ रहे हैं। हमारा विहिप और संघ से कोई टकराव नहीं है। बस, हमें धर्म सभा की जानकारी पहले से नहीं थी। हमारे मकसद में अंतर नहीं है, बस कार्यक्रम की तारीखें अलग हैं। विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंपत राय ने कहा- हम संजय राउत के बयान से सहमत हैं। शिवसेना से टकराव जैसी कोई चीज नहीं है।
अयोध्यावासियों का क्या कहना है?
तुलसी वाटिका के सामने भगवानों के पोस्टरों की दुकान लगाने वाले शाह आलम ने कहा- हमारी तो कमाई ही राम से है। हमें रामभक्तों से कोई डर नहीं। उन्हीं के साथी जुबेर का कहना है कि यहां के लोगों से कोई डर नहीं। बाहरी लोगों से डर लगता है, जो राम के दर्शन नहीं.. राजनीति करने आते हैं।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने कहा- 1992 में हम अयोध्या में थे। अभी उस तरह का माहौल नहीं है। डर जैसी कोई बात नहीं है। अयोध्या में मुस्लिम उतने ही सुरक्षित हैं, जितना कि हिंदू। राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद में मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने अपनी सुरक्षा बढ़ाए जाने पर कहा- दूसरे मुस्लिमों को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए।
राम मंदिर पर सियासत गरमाने के बीच शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर करीब 6 लाख श्रद्धालुओं ने अयोध्या में स्नान किया। अयोध्या की मस्जिदों में नमाज भी पढ़ी गई। अयोध्या वैसी ही थी, जैसी आम दिनों में रहती है। स्नान के बाद लोगों ने हनुमानगढ़ी में दर्शन किए और फिर राम लला के दर्शनों को गए। भीड़ की वजह से जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है, लेकिन लोगों से पूछने पर उन्होंने कहा- डर जैसी कोई बात नहीं है।