अयोध्या मामले में फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस एस. अब्दुल नजीर भी शामिल थे। वह पीठ में शामिल इकलौते मुस्लिम जज थे। जस्टिस नजीर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे जज हैं जो ज्यादातर धार्मिक मामलों में सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल रहते हैं।

जस्टिस नजीर उस पांच सदस्यीय पीठ के सदस्य थे, जिसने मुस्लिमों में 1400 साल से चली आ रही तीन तलाक की प्रथा को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। हालांकि, वह फैसले में बहुमत के साथ नहीं गए थे।
परंतु, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। इसका मतलब है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ में शामिल जस्टिस नजीर भी अन्य जजों के साथ सुनाए गए फैसले में शामिल हैं। संविधान पीठ ने 2.77 एकड़ की जमीन पर मुस्लिम पक्ष के मालिकाना हक को खारिज करते हुए जमीन के मालिकाना हक को भगवान राम लला को सौंपने का फैसला दिया है।
कर्नाटक हाई कोर्ट में जज रहे जस्टिस नजीर उस तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य थे, जिसने शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को बड़ी पीठ के समक्ष भेजने की मांग को खारिज कर दिया था। उस फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि मस्जिद इस्लाम की प्रथा का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। उस पीठ में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल थे।
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