भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 80 प्रतिशत आयात करता है। इस लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। इसके बावजूद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं।
तेल के दाम दो कारणों से देश में बढ़ते हैं। पहला अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम महंगे होने पर और दूसरा डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने पर। लिहाजा, मोदी सरकार एक ऐसा कदम उठाने जा रही है, जिससे देश में पेट्रोल के दाम में 10 रुपए तक की कमी आ जाएगी।
मोदी सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि जल्द से जल्द बाजार में मेथनॉल मिश्रित ईंधन का इस्तेमाल किया जाए। अगर सरकार ऐसा करने में सफल हो जाती है, तो वह ऐतिहासिक रूप से पेट्रोल की कीमत कम कर देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मेथनॉल मिश्रित ईंधन बाजार में बेचा जाता है, तो यह एक लीटर पेट्रोल की कीमत 10 रुपए प्रति लीटर तक कम हो सकती है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ईंधन के इस्तेमाल से प्रदूषण का स्तर करीब 30 फीसद तक कम हो जाएगा।
जानकारी के अनुसार, वर्तमान में देश में लगभग 10 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित ईंधन का उपयोग किया जाता है। हालांकि, वर्तमान में इथेनॉल की लागत लगभग 42 रुपए प्रति लीटर है। यह मेथनॉल की तुलना में बहुत अधिक महंगा है, क्योंकि वर्तमान में मेथनॉल की लागत लगभग 20 रुपए प्रति लीटर है।
वैसे, इंडियन ऑयल पहले से ही मेथनॉल मिश्रित ईंधन का उत्पादन कर रहा है, जिसमें 15 प्रतिशत मेथनॉल और 85 प्रतिशत पेट्रोल शामिल है। मगर, अभी इसका उत्पादन कम है और व्यावसायिक उपयोग के लिए उसका उत्पादन हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर 15 फीसदी मेथेनॉल को ईंधन में मिलाया जाए, तो 2030 तक देश लगभग 100 बिलियन डॉलर बचा सकता है।
वर्तमान में मेथनॉल का निर्माण असम पेट्रोकेमिकल्स में किया जा रहा है, जिसकी वर्तमान में उत्पादन क्षमता 100 टन प्रतिदिन है। उम्मीद है कि अप्रैल 2020 तक, यह उत्पादन 6 गुना बढ़कर 600 टन प्रतिदिन हो जाएगा। यदि जल्द से जल्द देश में मेथनॉल मिश्रित ईंधन उपलब्ध होने लगेगा, तो पेट्रोल की कीमत कम से कम 10 रुपए प्रति लीटर कम हो जाएगी और साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आएगी। इसके अलावा बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत होगी, जिसका इस्तेमाल विकास कार्यों में हो सकेगा।