जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन पर क्या प्रभाव डाल रहा है, क्‍या होगा बदलाव, जानिए…

जलवायु परिवर्तन हमारे जीवन पर क्या प्रभाव डाल रहा है और आगे आने वाले समय में यह और कितना प्रभावित करेगा वैज्ञानिक लगातार इस पर अध्ययन कर रहे हैं। अब एक नए अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

दावा किया गया है कि बहुत तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन भविष्य में कई देशों में सशस्त्र संघर्ष का खतरा बढ़ा रहा है। इसके कारण भविष्य र्में हिंसा बढ़ेगी। नेचर जर्नल में प्रकाशित हुए अध्ययन में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन ने पिछली सदी से लेकर अब तक संघर्ष के जोखिम को तीन से 20 प्रतिशत तक बढ़ाया है और यह जोखिम आगे आने वाले समय में और भी बढ़ सकता है।

गृहयुद्ध जैसा खतरा नहीं-  स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर मार्शल बर्क ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से संघर्ष तो बढ़ेंगे, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह गृहयुद्ध का रूप ले लेगें। इस सदी में जलवायु परिवर्तन का अभूतपूर्व असर पड़ने वाला है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन से अभी तक जितने भी प्रभाव सामने आए हैं भविष्य में होने वाले प्रभाव उनसे अलग होंगे। अमेरिका के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में सामने आई बात, जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि और पशुधन को पहुंचेगा नुकसान बढ़ेगी असमानता।

उत्सर्जनों को कम करने की जरूरत-  अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की कथरीन मंच ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए हमें लगातार हो रहे उत्सर्जनों को कम करने की जरूरत है, यह तभी होगा जब हमें अपनी जिम्मेदारी का अहसास हो और एक दूसरे के सहयोग से काम करने की भावना हो। जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है पर लोग अभी जागरूक नहीं हो रहे हैं।

इस तरह बढ़ेगा संघर्ष का खतरा-  जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में होने वाला चरम बदलाव और उससे उत्पन्न हुई आपदाएं भविष्य में अर्थव्यवस्थाओं, खेती, पशुधन को नुकसान पहुंचाएंगी, जिससे की सामाजिक समूहों के बीच असमानता बढ़ेगी। यह कारक जब संघर्ष के अन्य कारकों से मिलेंगे र्तो हिंसा का रूप ले लेते हैं।

चार ड‍िग्री बढ़ते ही बदल जाएंगे-  अध्ययन में बताया गया कि अगर तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो लोगों के बीच होने वाले संघर्ष पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पांच गुना ज्यादा पड़ेगा और संघर्षों के जोखिम में 26 फीसद तक की वृद्धि होने की संभावना है। वहीं, अगर तापमान में केवल दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है जो कि पेरिस जलवायु समझौते के तय मानक के अनुरूप है, फिर भी होने वाले संघर्षों में जलवायु का प्रभाव दोगुने से अधिक होगा और संघर्षों के जोखिम में 13 फीसद तक की वृद्धि होगी।

 

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