जल जीवन मिशन में गड़बड़ी के मामलों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने अब कड़ा रूख अपना लिया है। मंगलवार को मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मिशन की समीक्षा बैठक में बड़े स्तर पर लापरवाही उजागर की। पीएचई के प्रमुख सचिव पी. नरहरि से मुख्य सचिव ने सीधे सवाल-जवाब किए और कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट तलब की।
क्या पाया गया?
बैठक में खुलासा हुआ कि अफसर–ठेकेदार–एजेंसी के गठजोड़ ने घटिया सामग्री सप्लाई की, टेंडर नियमों का उल्लंघन किया और कई प्रोजेक्ट में फर्जी बैंक गारंटी तक लगाई गई।
मुख्य सचिव ने साफ कहा—“लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी, जीरो टॉलरेंस पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
बड़ी कार्रवाई
280 एजेंसियां ब्लैकलिस्ट
अब दूसरे विभागों में काम नहीं मिलेगा।
22 ठेकेदार ब्लैकलिस्ट + अनुबंध निरस्त
फर्जी बैंक गारंटी वाले ठेकेदारों पर CBI केस भी दर्ज।
141 अधिकारी नोटिस पर
त्रुटिपूर्ण DPR बनाने पर उपयंत्री से लेकर कार्यपालन यंत्री स्तर तक नोटिस जारी।
10 अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
गुणवत्ताहीन सामग्री व टेंडर नियमों के उल्लंघन में दोषी पाए गए।
30 करोड़ की पेनल्टी
विभाग ने एजेंसियों पर अब तक लगभग ₹30 करोड़ का आर्थिक दंड लगाया।
केंद्र ने बजट रोका – क्यों बढ़ी चिंता?
पिछले एक साल से केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के फंड जारी नहीं किए हैं। अक्टूबर 2024 में 600 करोड़ आए थे, पर उसके बाद दूसरी दीपावली भी निकल गई लेकिन राशि नहीं मिली। मुख्य सचिव की यह सख्त समीक्षा केंद्र के फंड रिलीज से जोड़कर देखी जा रही है।
विधानसभा में तीन बार हंगामा
विपक्ष ने आरोप लगाया कि “योजना को चौपट कर दिया गया।”
विधायक समितियों से जांच कराने की मांग… सत्ता पक्ष के विधायक गोपाल भार्गव ने भी समर्थन किया।
समग्र संदेश
मुख्य सचिव का साफ संकेत है कि जल जीवन मिशन में अब कोई समझौता नहीं होगा। गुणवत्ता, वित्तीय शुचिता और पारदर्शिता पर बड़ा फोकस—और गड़बड़ी पकड़ी गई तो सीधी कार्रवाई।
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