हेमकुंड साहिब में स्थित लक्ष्मण लोकपाल मंदिर के कपाट बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने से पहले पुजारी भगवती पांडे ने मंदिर में कई पूजाएं संपन्न कीं। भ्यूंडार गांव से पहुंचे भक्तगणों ने लक्ष्मण मंदिर में पूजा-पाठ किया।
इसके बाद हेमकुंड साहिब के कपाट बंद हुए। दोपहर साढ़े 12 बजे साल की अंतिम अरदास पढ़ी गई। सुबह मौसम खराब होने पर यहां कपाट बंद होने के दौरान हल्की बर्फबारी भी हुई। ढाई हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।
इस साल एक लाख 83 हजार 722 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि पिछले साल एक लाख 77 हजार 463 श्रद्धालु पहुंचे थे। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह नौ बजे से शुरू हो गई थी।
गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया, सुबह 10 बजे सुखमणि पाठ हुआ और फिर शबद कीर्तन के बाद साढ़े 12 बजे अंतिम अरदास और गुरुग्रंथ साहिब का हुक्मनामा पढ़ा गया।
इसके बाद पंच प्यारों और इंजीनियरिंग कोर के बैंड की अगुवाई में गुरुग्रंथ साहिब को सचखंड में सुशोभित किया गया। इसके बाद दोपहर एक बजे हेमकुंड साहिब के कपाट बंद कर दिए गए।
इस दौरान सेना के इंजीनियरिंग कोर के बैंड ने पूरे वातावरण को आनंदित कर दिया। कपाट बंद होने के बाद सभी श्रद्धालु घांघरिया लौट आए। वहीं, कपाट बंद होने के दौरान हेमकुंड साहिब में मौसम खराब होने पर हल्की बर्फबारी भी हुई।
हालांकि, ऊंची पहाड़ियों पर ज्यादा बर्फ पड़ी और इससे वहां कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। 25 मई को शुरू हुई हेमकुंड साहिब की यात्रा पर इस साल एक लाख 83 हजार 722 श्रद्धालु पहुंचे, जबकि पिछले साल एक लाख 77 हजार 463 श्रद्धालु पहुंचे थे।