वैष्णो देवी यात्रा 16 अगस्त से शुरू होगी। आठ पुजारियों और 11 श्राइन बोर्ड कर्मचारियों के संक्रमित मिलने के बाद अब इसकी एसओपी में बदलाव किया गया है। इसमें पहले सप्ताह प्रतिदिन केवल दो हजार तीर्थयात्री शामिल होंगे।

इन यात्रियों में जम्मू-कश्मीर के 1900 तथा अन्य राज्यों के 100 लोग होंगे। पहले पांच हजार लोगों को शामिल करने का प्रावधान किया गया था। बैटरी वाहन, यात्री रोपवे और हेलिकॉप्टर सेवा सुचारु रूप से चलेगी। कोरोना महामारी के कारण यात्रा 18 मार्च से बंद है।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि यात्रा में शामिल होने के लिए पंजीकरण ऑनलाइन करवाना होगा। दूसरे प्रदेशों और जम्मू-कश्मीर के रेड जोन जिलों के लोगों को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट भी अपनी साथ रखनी होगी।
इसकी जांच भवन के लिए जाने के दौरान हेलीपैड, ड्योढ़ी गेट, बाणगंगा, कटरा में की जाएगी। तीर्थयात्रियों के लिए मास्क, फेस कवर पहनना अनिवार्य होगा और सभी की स्कैनिंग की जाएगी।
उन्होंने बताया कि यात्रा को आसान बनाने के लिए बैटरी वाहन, यात्री रोपवे और हेलिकॉप्टर सेवाओं को सामाजिक दूरी का पालन करके चलाया जाएगा। भीड़ से बचने के लिए अटका आरती और विशेष पूजा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। भक्तों की सुविधा के लिए क्लॉक रूम खोला जाएगा जबकि कंबल स्टोर बंद रहेंगे।
यात्रा के दौरान घोड़ा, पिट्ठू और पालकी को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है। 10 वर्ष से कम और 60 वर्ष के अधिक उम्र के लोगों, गर्भवतियों, बीमारों को यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
सीईओ ने बताया कि तारकोट मार्ग पर मुफ्त लंगर और सांझी छत में प्रसाद केंद्र तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए खोले जाएंगे। कटड़ा से भवन के लिए पारंपरिक मार्ग बाणगंगा, अर्द्ध कुंवारी, और सांझी छत का उपयोग भवन की ओर जाने के लिए किया जाएगा। हिमकोटी-तारकोट मार्ग का उपयोग वापस आने के लिए होगा।
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