मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस का फैसला सुनने के बाद स्पेशल एनआई जज रविंद्र रेड्डी के इस्तीफे को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. गुरुवार (19 अप्रैल) को दोनों कोर्ट ने जज रेड्डी के इस्तीफे को खारिज करते हुए तुरंत काम कर लौटने को कहा है. पीटीआई के मुताबिक रेड्डी ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट का फैसला सुनाने के बाद जज रेड्डी ने अपने इस्तीफे के लिए निजी कारणों का हवाला दिया था और कहा था कि इस्तीफे का फैसले से कोई लेना-देना नहीं है. जज रेड्डी के इस्तीफे के बाद एक अधिकारी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा था कि वह काफी समय से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे थे.
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को खत लिखकर दिया था इस्तीफा
रेड्डी, चौथे एडीशनल मेट्रोपॉलिटन सेशन जज थे. उन्होंने मेट्रोपोलिटन सेशंस जज और हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को खत लिखकर इस्तीफा दिया. उन्होंने इस्तीफा स्वीकार किए जाने तक 15 दिनों के तत्काल अवकाश की अर्जी भी दी थी. वह 2014 से मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस की सुनवाई कर रहे थे. हैदराबाद में चौथे एडीशनल मेट्रोपोलिटन सेशंस कोर्ट को एनआईए केसों को देखने के लिए अधिकृत किया गया था.
पांच आरोपियों को कोर्ट ने किया था बरी
एनआईए की एक मेट्रोपोलिटन अदालत के फैसले के बाद असीमानंद के वकील जे. पी. शर्मा ने कहा था, ‘अभियोजन मुकदमे का सामना करने वाले पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है. इसलिए अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.’ शर्मा ने कहा था, ‘बरी हुए आरोपियों में देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नब कुमार सरकार, भरत मोहनलाल रतेश्वर उर्फ भरत भाई और राजेंद्र चौधरी शामिल हैं.’
क्या है मक्का मस्जिद केस
मक्का मस्जिद में 18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान एक बड़ा विस्फोट हुआ था जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और 58 अन्य जख्मी हो गए थे.