रविवार देर रात घोषित नतीजों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद पर वामपंथी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। महासचिव पद पर बापसा को जीत मिली है। शुक्रवार को हुए मतदान में 73 फीसदी मत पड़े थे।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में वामपंथी गठबंधन को जीत मिली है। रविवार देर रात घोषित नतीजों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव पद पर वामपंथी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। महासचिव पद पर बापसा को जीत मिली है। शुक्रवार को हुए मतदान में 73 फीसदी मत पड़े थे।
वामपंथी गठबंधन में आइसा, एसएफआई, डीएसएफ व एआईएसएफ शामिल हैं। आइसा के धनंजय ने छात्रसंघ अध्यक्ष, एसएफआई के अवजीत घोष उपाध्यक्ष और एआईएसएफ के साजिद ने संयुक्त सचिव पर जीत हासिल की है। वहीं, बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) से पि्रयांशी आर्या महासचिव बनी हैं। खास बात यह है कि बापसा ने पहली बार महासचिव पद जीता है। प्रियांशी उत्तराखंड के हल्द्वानी की रहने वाली हैं।
चुनाव में वोटों के आधार पर एबीवीपी दूसरा सबसे बड़ा छात्र संगठन बना है। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति के चेयरपर्सन शैलेंद्र कुमार के मुताबिक, धनंजय को 2,598 वोट मिले हैं और उन्होंने एबीवीपी के उमेश को 922 वोट से हराया है। अवजीत घोष को 2,409 वोट मिले हैं और उन्होंने एबीवीपी की दीपिका को 927 वोट से हराया है। प्रियांशी को 2,887 वोट मिले और उन्होंने एबीवीपी के अर्जुन आनंद को 926 वोट से हराया है। वहीं, एआईएसएफ के 2,574 वोट हासिल करने वाले साजिद ने एबीवीपी के ही गोबिंद डांगी को 508 वोट से हराया है। साजिद यूपी के मऊ जिले के रहने वाले हैं।
जीत के बाद लेफ्ट ने खेली खुशियों की होली
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के नतीजे लाल और नीले झंडे को सलाम करने वाले आए हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव पद की सीट वामदल गठबंधन तो महासचिव बापसा को मिली है। सेंट्रल पैनल की सीटों पर रविवार देर शाम रुझान लेफ्ट की ओर जाते ही ढोल-डफली पर छात्रों ने लाल सलाम के नारे लगाने शुरू कर दिए। लेफ्ट छात्रों ने चुनाव नतीजे जारी होने से पहले ही होली खेलते हुए लाल सलाम के नारे लगाते हुए लाल झंडे को फहराना शुरू कर दिया था। मतगणना स्थल पूरा लाल झंडों और लाल सलाम से ही गूंज रहा था।
जेएनयू इतिहास में उत्तराखंड की प्रियांशी ने दर्ज की जीत : लाल सलाम के बीच बापसा ने आंबेडकरवादी विचारधारा के साथ बहुजन नेताओं को भी याद किया। लाल के बीच नीला झंडा लहराती प्रियांशी ने जेएनयू छात्रसंघ चुनाव इतिहास में अपना नाम सुनहरी अक्षरों में लिख दिया है। बापसा को पहली बार सेंट्रल पैनल में महासचिव पद उत्तराखंड के हल्द्वानी की प्रियांशी की जीत के साथ मिला है। बेशक लेफ्ट बापसा को अपना समर्थन देने की बात कर रहा था,लेकिन मतगणना स्थल पर बापसा अपने नीले झंडे के साथ अलग जीत का जश्न मना रहा था।
पहले एबीवीपी फिर लेफ्ट को बढ़त
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति ने शनिवार रात को पहले वामदल गठबंधन की महासचिव स्वाति सिंह के नामांकन रद्द पर ऑल पार्टी बैठक बुलाई। इसमें इस पद के लिए दोबारा मतदान नहीं करने की जानकारी दी। इसके बाद शनिवार तीन बजे से सेंट्रल पैनल की मतगणना शुरू हुई थी। यह रात 10.40 तक चली। उसके बाद जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति ने उसके नतीजे तैयार किए। जेएनयू छात्रसंघ चुनाव की रिपोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट को भी जानी है। चुनाव हाईकोर्ट की निगरानी में हो रहे थे। रविवार दोपहर तक संस्कृत, इंजीनियरिंग, साइंस समेत अन्य स्कूल की मतगणना शुरू होने पर रुझान चारों सीटों पर एबीवीपी के पक्ष में आ रहे थे। लेकिन शाम पांच बजे के बाद स्कूल ऑफ सोशल साइंस और स्कूल ऑफ इंटरनेशनल लैंग्वेज की मतगणना शुरू होते ही रुझान बदलने लगे, जोकि नतीजों में दिख रहा है।
एबीवीपी ने वंदे मातरम और भारत माता के नारे लगाए
एबीवीपी ने जेएनयू छात्रसंघ सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर आखिरी तक कांटे की टक्कर दी। मतगणना आखिरी तीन घंटों में स्कूल ऑफ सोशल साइंस और स्कूल ऑफ लैंग्वेज की मतगणना शुरू होते ही रुझान धीरे-धीरे बदलने लगा। पहले अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के उमेश, महासचिव पद पर अर्जुन और सचिव पद पर गोबिंद सबसे आगे चल रहे थे। लेकिन इन दोनों स्कूलों की मतगणना शुरू होने पर वोट फीसदी वामदल के पाले में बढ़ने लगा। हालांकि एबीवीपी ने सेंट्रल पैनल की चारों सीट बेहद मामूली वोटों से हारी हैं। इसके बाद भी एबीवीपी के कार्यकर्ता शांतिप्रिय तरीके से मतदाताओं को धन्यवाद देते हुए वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाते रहे।
सेंट्रल पैनल में हिंदी बेल्ट का दबदबा
सेंट्रल पैनल के अध्यक्ष धनंजय, बिहार, उपाध्यक्ष अवजीत, बिहार, महासचिव प्रियांशी, उत्तराखंड और सचिव साजिद उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इस प्रकार सेंट्रल पैनल पर हिंदी बेल्ट का दबदबा रहेगा।
स्कूल काउंसलर के 18 पद एबीवीपी के नाम
एबीवीपी ने बेशक सेंट्रल पैनल की चारों सीट बहुत अधिक अंतर से नहीं हारे हैं। लेकिन स्कूल काउंसलर के 42 पदों में से 18 एबीवीपी के नाम रहे हैं। वोट फीसदी में एबीवीपी सेकेंड रनर अप संगठन बना है। वोट फीसदी में भी बढ़ोतरी हुई। यदि वामदल गठबंधन नहीं करते तो एबीवीपी को सेंट्रल पैनल से लेकर अन्य काउंसलर सीट भी आसानी से मिलती। एबीवीपी ने छह स्कूल में क्लीन स्वीप किया है। जबकि अन्य स्कूलों में कहीं एक, दो पर जीत हासिल की है।
इसमें स्कूल ऑफ संस्कृत एवं इंडिक स्टडीज के तीनों पद, स्कूल ऑफ नैनो साइंस का एकमात्र पद, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के चारों पद, स्कूल ऑफ कंप्यूटर सिस्टम एंड साइंसेज के सभी तीनों पदों पर एबीवीपी ने परचम लहराया है। इसके अलावा साइंस सेंटर, स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंसेज, स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड इंटीग्रेटेड साइंसेज, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में भी अपना परचम लहराया है।