हाल ही में हुए पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने वाले पार्टियों ने ईवीएम को कठघरे में खड़ा किया था. आरोप था कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की गई है. इलेक्शन कमीशन इन शिकायतों से निपटने के लिए ऐसी ईवीएम खरीदने वाला है जिसके साथ छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है. बताया जा रहा है ऐसी ईवीएम में एम- 3 टैक्नॉलोजी से लैस होगी.
क्या है एम-3 टैक्नॉलोजी
दरअसल, एम-3 टैक्नॉलोजी वाले ईवीएम में अपना वैरिफिकेशन सिस्टम होगा. इस सिस्टम के जरिये पहले से तय किन्हीं दो पक्षों के अलावा अन्य कोई भी उनमें बदलने की कोशिश करेगा तो वह पकड़ा जाएगा.
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एम-3 टाइप की ईवीएम मशीनों में खुद का ‘सेल्फ डायग्नोस्टिक सिस्टम’ लगा होगा. ये मशीनें आपसी वैरिफिकेशन के जरिये एक दूसरे से कनेक्ट रहेगी. सिर्फ एक सेल्फ वैरिफिकेशन ईवीएम से ही क्षेत्र की बाकी ईवीएम से संपर्क जोड़ा जा सकता है. साथ ये संपर्क तभी संभव होगा जब वो ईवीएम परमाणु ऊर्जा पीएसयू ईसीआईएल या रक्षा क्षेत्र की पीएसयू बीईएल द्वारा बना होगा.यानि कोई भी ईवीएम से टेंपरिंग या हैंकिग कोशिश भी करना चाहेगा तो ये संभव नहीं होगा.ऐसी पहली बार है कि भारत में इस तरह की टैक्नॉलोजी का इस्तेमाल होगा.
नयी मशीनों की खरीद में लगभग 1,940 करोड़ रूपए का खर्च आएगा. ये मशीनें संभवत: 2018 से काम करने लगेंगी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)