सुप्रीम कोर्ट में दायर केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का मामला उन पांच मामलों में से एक है जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को फैसला सुनाना है। वह 17 नवंबर को रिटायर्ड होने वाले हैं। सबरीमाला मंदिर का मामला वहां पर महिलाओं के प्रवेश से जुड़ा है। 11 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए संवैधानिक पीठ को भेजने की बात कही थी, जिसके बाद 2017 में इसको इस पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ को सौंप दिया गया था।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट इस मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं का सर्वोच्च है। यहां पर उन्हें देवी के रूप में पूजा जाता है ऐसे में मंदिर में उनका प्रवेश रोकना स्वीकार्य नहीं है।
इस फैसले को सुनाने वाली पांच सदस्यीय पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर शामिल थे। इस मामले में चार जजों की राय एक थी जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा का फैसला इनसे अलग था।
उन्होंने इस मामले में महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी थी। उनका कहना था कि धार्मिक मामले में सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले का केरल और कुछ लोगों ने जबरदस्त विरोध किया था। कोर्ट के फैसले का विरोध करने वालों का कहना था कि क्योंकि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे, लिहाजा यहां पर 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित था।
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