अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन के बीच सिंगापुर में हुई वार्ता को लगभग तीन माह हो चुके हैं, लेकिन चीन से लगती उत्तर कोरिया की सीमा पर लाल इमारत का रहस्य अब भी जस का तस है। यह रहस्यमयी लाल इमारत करीब पांच माह पहले उस वक्त सामने आई थीं जब दोनों देशों के बीच वार्ता और सुलह की कवायद की जा रही थी। दरअसल, अमेरिका को शक था कि वार्ता की बात कर किम जोंग उन यहां पर अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में लगे हैं। आपको यहां पर ये भी बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के तत्कालीन डायरेक्टर माइक पोंपियो उत्तर कोरिया गए थे। उसी वक्त अमेरिकी सैटेलाइट से चीन से लगी उत्तर कोरिया की सीमा से सटे चोंग्सू इलाके की तस्वीरें ली गई थीं। तब से लेकर आज तक यहां मौजूद लाल इमारत का रहस्य बरकरार है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि सिंगापुर वार्ता से कुछ पहले और बाद में उत्तर कोरिया ने अपनी एक के बाद एक न्यूक्लियर साइट को खत्म कर दिया था। लेकिन चोंग्सू की यह इमारत अब भी अपनी जगह पर मौजूद खड़ी हैं। इनके रहस्य से पर्दा आज भी अमेरिका नहीं उठा सका है। आपको बता दें कि चीन और उत्तर कोरिया के बीच में यालू नदी बहती है। इस नदी पर दोनों देशों के बीच एक पुल भी बना हुआ है जो चोंग्सू इलाके में बना हुआ है। इसी नदी के किनारे एक कंस्ट्रक्शन साइट को लेकर अमेरिका ने अप्रैल में अपना शक जाहिर किया था। सैटेलाइट इमेज को माध्यम बनाते हुए कहा गया था कि उत्तर कोरिया के अधिकारी सीमा पार जा रहे हैं।
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