चीन की दादागीरी से अब नहीं खौफ में आयेगा ताइवान, अपना नेशनल डे मनाना जारी रखेगा

 ताइवान ने कहा है कि वह चीन के दादागीरी दिखाने वाले अधिकारियों से नहीं डरेगा और हर साल दुनिया भर में अपना नेशनल डे मनाना जारी रखेगा। चीन के राजनयिकों पर फिजी में कार्यक्रम को राजनयिक बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाने के बाद ताइवान सरकार ने मंगलवार को यह कहा। ताइवान की ओर से लगाए गए आरोपों में मारपीट के दौरान घायल एक ताइवानी राजनयिक की अस्पताल में मौत भी शामिल है। चीन ने इस आरोप का खंडन किया है।

चीन इस द्वीप को अपना क्षेत्र मानता है, जिसके पास दूसरे देश से संबंध रखने का अधिकार नहीं है। दोनों के बीच विवाद का सबसे बड़ा कारण प्रशांत क्षेत्र है। यहां ताइवान का फिजी को छोड़ चार देशों के साथ कूटनीतिक रिश्ता है। ताइवान ने कहा कि चीन के राजनयिक एक होटल में आयोजित ताइवान नेशनल डे की तस्वीरें ले रहे थे। इसे लेकर हुए संघर्ष में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए। ताइवान ने 10 अक्टूबर को इस कार्यक्रम में दुनिया भर के लागों को आमंत्रित किया था।

फिजी में भिड़ गए थे चीन और ताइवान कर्मी

दरअसल, फिजी में हाल में आयोजित ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह को लेकर चीन के राजनयिक और ताइवान सरकार के कर्मचारी भिड़ गए। टकराव इतना जबरदस्त था कि ताइवान के कर्मचारी के सिर में चोट आ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, चीन का एक राजनयिक भी घायल हुआ। दोनों देशों ने आठ अक्टूबर को हुए इस टकराव की पुष्टि की है। दोनों ने एक-दूसरे को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है।

ताइवान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जोआन ओऊ ने बताया है कि टकराव तब हुआ जब ताइवान के राष्ट्रीय दिवस के आयोजन में आए अतिथियों के फोटो ले रहे चीन के राजनयिकों को रोका गया। इस मामले में फिजी स्थित चीन के दूतावास के सभ्य आचरण के मानदंडों के उल्लंघन की ताइवान ने कड़ी निंदा की है। 

चीन के दूतावास ने भारतीय मीडिया को दी थी धमकी 

चीन के दूतावास ने पिछले 7 अक्टूबर को भारत को एक धमकी भरा पत्र लिखा था। इसमें भारतीय मीडिया को चेताया था कि वे ताइवान को अलग से देश न कहें और न ही ताइवान की राष्ट्रपति का जि‍क्र करें। इस पर नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने चीन से कहा था कि भारतीय मीडिया स्वतंत्र है और इसे जो उचित दिखता है, वही करता है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया था, ‘भारत धरती पर सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां जीवंत प्रेस और आजाद पसंद लोग हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि कम्युनिस्ट चीन सेंसरशिप थोपकर उपमहाद्वीप में घुसना चाहता है। ताइवान के भारतीय दोस्तों का एक ही जवाब होगा- गेट लॉस्ट।’ 

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