पटना: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने शुक्रवा को पटना में उस सरकारी बंगले को वापस हासिल कर लिया, जो उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के कार्यालय के रूप में काम करता था। यह आवास मुख्यमंत्री के आवास राजभवन और हवाई अड्डे जैसे अति महत्वपूर्ण स्थानों से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है।
“चाचा के साथ बिताए यादगार पल याद रहेंगे”
चिराग की लोजपा (रामविलास) ने हाल के लोकसभा चुनावों में बिहार में पांच सीटों पर जीत हासिल की। पासवान ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा संयोग है कि मुझे अपनी पार्टी के लिए वही परिसर आवंटित किया गया है, जहां से मैंने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी।” पासवान ने कहा कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी द्वारा कब्जा किए जाने तक बंगले को ‘‘वापस लेने पर कभी जोर नहीं दिया।” चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस की बगावत के कारण लोजपा में विभाजन हो गया था। चिराग पासवान ने कहा, ‘‘मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो किसी के खिलाफ शिकायत रखूं। वास्तव में, इस घर की मेरी यादों में चाचा के साथ बिताए गए यादगार पल शामिल रहेंगे। यह उनकी अपनी बनाई परिस्थितियों के कारण है कि हम अब अलग हो गए हैं।”
“मेरी पार्टी बिना किसी उचित कार्यालय के मेरे आवास से कर रही थी काम”
लोजपा से अलग होने के बाद पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी जगह मिली और बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने उक्त बंगला उनकी पार्टी को आवंटित कर दिया था। हालांकि, 2024 के चुनाव आते-आते पारस का राजनीतिक रूप से अवसान होता दिखा क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने उनके भतीजे को महत्व देते हुए रामविलास पासवान का गढ़ हाजीपुर सीट भी उन्हें दे दी थी। चिराग पासवान ने कहा, ‘‘पिछले तीन वर्षों से, मेरी पार्टी बिना किसी उचित कार्यालय के मेरे पटना आवास से काम कर रही थी। राज्य सरकार ने पहले हमें बताया था कि नियमों के अनुसार किसी भी पार्टी को तब तक भवन आवंटित नहीं किया जा सकता जब तक कि उसके पास एक निश्चित संख्या में सांसद या राज्य विधानमंडल सदस्य न हों।”
पासवान ने कहा ‘‘हमने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद पार्टी कार्यालय के लिए एक भवन की मांग की। शुक्र है कि इस बार हमारा अनुरोध स्वीकार कर लिया गया। इससे मेरी पार्टी को अगले साल के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने में मदद मिलेगी जिसमें हम राजग की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे।”