उत्तराखंड के चमोली जिले में बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में फंसे लोगों की तलाश के लिए अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. यहां सुरंग के बाहर एक कुत्ता पिछले तीन दिन से अपने दोस्तों का इंतजार कर रहा है. दरअसल यहां प्रोजेक्ट में काम करने वालों लोगों के साथ कुत्ता काफी घुल-मिल गया था, क्योंकि ये लोग काम के दौरान उसे अपने खाने में से खाना खिलाते थे. जिस वजह से कुत्ता अपने साथियों की याद में यहीं पर बैठा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक आपदा के समय यह कुत्ता यहां मौजूद नहीं था. लेकिन जब वह वापस लौटा तो यहां का नजारा एकदम बदल चुका था. जो लोग रोजाना उसे यहां दिखाई देते थे अब वे सभी यहां मौजूद नहीं थे. इस आपदा में जीवित बचे 34 वर्षीय राजिंदर सिंह ने कहा कि जब हम यहां काम करते थे तो हम उसे खाना देते थे और वह दिन भर यहीं पर हमारे साथ रहता था. साइट का काम खत्म होने के बाद वह भी यहां से चला जाता था.
इस कुत्ते ब्लैकी की उम्र करीब दो साल है. उसका जन्म उस समय हुआ जब इस जगह पर प्रोजेक्ट शुरू हो चुका था. उन्होंने बताया कि वह हमारे पास रहकर ही बड़ा हुआ. मगर जिस दिन बाढ़ आई, वह यहां नहीं था. कुत्ता रात के बिताने के लिए नीचे चला गया था. जब वह अगली सुबह वापस आया, तो कोई भी पहचान वाला आदमी नहीं मिला. जिसे देखकर वो बहुत हताश हुआ. अब वे लोग यहां नहीं थे, जिन्हें वो अच्छे से जानता था.
ब्लैकी को यह जगह अजनबियों से भरी हुई लग रही थी. एक स्थानीय निवासी ने बताया कि बचाव दल के लोगों ने ब्लैकी को दूर भगाने की कोशिश की. लेकिन थोड़ी देर बाद वह बार-बार वापस आ जाता. वह सुरंग के बाहर से जाने को तैयार ही नहीं था. उन्होंने कहा कि हम अब उसकी देखभाल कर रहे हैं, वह सारा दिन, रात भर, सुरंग के बाहर बैठा रहता है. हमें उम्मीद है कि वह जल्द ही यहां काम करने वाले सुरंग में फंसे अपने साथियों से मिल पाएगा.
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