चांद की सतह से कुछ ही दूरी पर राह भटके चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिशें चरम पर हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर (इसरो) चांद की सतह पर ‘बेसुध’ पड़े विक्रम से संपर्क करने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।

दूसरी ओर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भी विक्रम से संपर्क साधने के लिए ‘हलो’ मेसेज भेजा है। 7 सितंबर को लैंडर विक्रम हार्ड लैंडिंग के बाद चांद की सतह पर गिर पड़ा था।
नासा ने अपने डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) के जेट प्रपल्शन लैब्रटरी (JPL) से लैंडर विक्रम को एक रेडियो मैसेज भेजा है। नासा के एक सूत्र ने मीडिया को बताया है कि, ‘हां, नासा, इसरो से लिखित सहमति मिलने के बाद रेडियो संदेश के माध्यम से लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है।’ हालांकि, दिन बीतने के साथ लैंडर विक्रम से संपर्क होने की आशाएं कमजोर पड़ती जा रही हैं।
इसरो के प्री-लॉन्च अनुमान के अनुसार, लैंडर विक्रम को केवल एक ल्यूनर डे के लिए ही सीधी सूरज की रोशनी मिलेगी। इसका अर्थ है कि महज 14 दिन तक ही लैंडर विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी। ऐसे में इसरो इन 14 दिन तक अपने प्रयास जारी रख सकता है।
अगर इसरो को इस बात की जानकारी भी मिल जाए कि इसके कम्युनिकेशन इक्विपमेंट नष्ट हो चुके हैं तो 14 दिने से पहले भी संपर्क की कोशिश समाप्त कर सकता है। 14 दिन के बाद एक लंबी काली रात होगी। अगर लैंडर ने सॉफ्ट लैंडिंग की होती तो भी इस अंधेरी रात में बचे रह पाना उसके लिए कठिन होता। विक्रम को चांद की सतह पर हार्ड लैंडिंग किए हुए 6 दिन बीत चुके हैं। ऐसे में 20-21 सितंबर तक यदि, उससे संपर्क नहीं हो पाया तो फिर उससे संपर्क की कोशिश समाप्त हो जाएगी।
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