पशु बाजारों और मेलों में कटने के लिए जानवरों की बिक्री पर पाबंदी का केंद्र का फैसला कई राज्यों को रास नहीं आ रहा है. केरल के बाद अब अन्य राज्यों में भी फैसले के खिलाफ आवाज उठने लगी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले को ‘अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अनैतिक’ बताया है. उनका कहना था कि अगर जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. ममता बनर्जी ने दावा किया कि पशुधन की रक्षा का मामला राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है.
उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं जानती कि केंद्र सरकार क्यों बार-बार राज्यों के मसलों में एकतरफा फैसलों के जरिये दखल दे रही है. ममता ने मोदी सरकार पर ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघने का आरोप लगाते हुए याद दिलाया कि केंद्र की तरह राज्य सरकार को भी जनता चुनती है. उनके मुताबिक केंद्र को अपनी हद से बाहर जाकर लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को खतरे में नहीं डालना चाहिए. ममता की राय में ‘अगर केंद्र सरकार राज्यों पर जबरन फैसले थोपेगी और संघीय ढांचे को बर्बाद करेगी तो कुछ नहीं बचेगा.’
केरल के सीएम की चिट्ठी
इस मसले पर सबसे पहले विरोध दर्ज करवाने वाले केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने अब सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से इस ‘लोकतंत्र-विरोधी, धर्मनिरपेक्षता-विरोधी और संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने वाले फैसले’ के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है. उन्होंने आगाह किया है कि इसके बाद देश की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति और लोकतांत्रिक ढांचे को तबाह करने की दिशा में और भी कदम उठाए जा सकते हैं. इससे पहले विजयन ने पीएम मोदी को भी चिट्ठी लिखकर अपना विरोध जताया था. इस बीच, केरल हाईकोर्ट ने इस मामले में चार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है.
तमिलनाडु में कई सियासी पार्टियां इस मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आई हैं. डीएमके ने इस मामले में खामोशी पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्तालिन बुधवार को केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले हैं. उनका कहना है कि इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ेगा. पुड्डुचेरी की सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाकर इस पाबंदी का विरोध किया है. मुख्यमंत्री नारायणसामी ने साफ किया है कि पुड्डुचेरी में ये आदेश लागू नहीं होगा और अगर जरूरत पड़ेगी तो सरकार इसके लिए विधानसभा में बिल पास करवाएगी. कर्नाटक की कांग्रेस सरकार भी फैसले के खिलाफ विकल्पों पर गौर कर रही है. राज्य में विधानसभा चुनाव अब दूर हैं लिहाजा ये मसला बड़ा सियासी मुद्दा बन सकता है.
उत्तर-पूर्वी राज्यों में बेचैनी
केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ मेघालय, मणिपुर और नगालैंड जैसे राज्यों से भी विरोध के सुर उठ रहे हैं. शिलॉन्ग में बीजेपी ने इस डर को बेबुनियाद बताया कि राज्य में गोमांस पर पूरी तरह पाबंदी लग जाएगी. पार्टी के तुरा जिले के अध्यक्ष बर्नार्ड मराक ने कहा, ‘मेघालय में बीफ बैन करने का सवाल नहीं उठता. राज्य के ज्यादातर बीजेपी नेता खुद भी गोमांस खाते हैं.’ नगालैंड में कांग्रेस ने मोदी सरकार के फैसले को सांप्रदायिक करार दिया. वहीं त्रिपुरा की सरकार ने भी फैसले को वापस लेने की मांग उठाई है.
सूत्रों का दावा है कि चौतरफा विरोध के बाद सरकार इस फैसले की जद से भैंस को हटा सकती है. राज्य सरकारों के अलावा मांस कारोबारी भी इसके लिए दबाव डाल रहे हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अब इस मामले में नोटिफिकेशन का नया ड्राफ्ट जारी कर सकता है. पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन फिलहाल विदेश दौरे पर हैं. उनके लौटने के बाद इस बाबत आखिरी फैसला लिया जा सकता है.