चुनावों के दौरान इंटरनेट और सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के खर्च की पहेली को निर्वाचन आयोग अब गूगल, फेसबुक और टि्वटर की मदद से सुलझाएगा। इन दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने इस सिलसिले में भारत निर्वाचन आयोग के पदाधिकारियों से मुलाकात की है।
छले दिनों मप्र के दौरे पर आए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने भी अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा की थी। बताया जा रहा है कि मप्र के विधानसभा चुनावों में इसका उपयोग हो सकता है, लेकिन फिलहाल कुछ तय नहीं है।
मप्र के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक गूगल एक व्यवस्था तैयार करेगा, जिसमें ऑनलाइन विज्ञापन के लिए प्री-सर्टिफिकेशन किया जाएगा। चुनाव आयोग में पहले से यह व्यवस्था है कि विज्ञापन से पहले आयोग के पास प्री-सर्टिफिकेशन कराना होता है। यही प्रक्रिया इंटरनेट पर राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापन के लिए भी अपनाई जाएगी। गूगल आयोग के लिए यह प्री-सर्टिफिकेशन करेगा।
खर्च की जानकारी भी आयोग को देगा गूगल
इंटरनेट पर राजनीतिक विज्ञापनों के प्री-सर्टिफिकेशन के साथ-साथ गूगल आयोग को इन विज्ञापनों पर खर्च की जानकारी भी देगा। आयोग के रिटर्निंग ऑफिसर इन खर्चों को चुनावी खर्च में जोड़ सकेंगे।