गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में तैयार होंगे चाइल्डहुड एजुकेशन के प्रोफेशनल

बैचलर ऑफ साइंस अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन कोर्स के प्रोफेशनल्स की विदेशों में काफी मांग है। चार साल के इस कोर्स में बारहवीं पास करने के बाद दाखिला लिया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस कोर्स के हर साल पूरा होने के बाद एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

विदेशों में प्रोफेशनल अर्ली चाइल्डहुड प्रोफेशनल की मांग को मुख्य रख गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की ओर से बैचलर ऑफ साइंस अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन कोर्स की शुरुआत की गई है। 

इस कोर्स करने वाले को अब प्राइवेट इंस्टीट्यूट से छोटे कोर्स करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं, इस डिग्री होल्डर को बिना किसी मुश्किल में विदेशों में भी छोटे बच्चों को एजुकेट व संभाल के लिए रोजगार आसानी से उपलब्ध हो जाएगा।

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी देश की दूसरी और उत्तर भारत की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है यहां यह कोर्स शुरू किया गया है। इससे पहले मुंबई यूनिवर्सिटी में यह कोर्स चल रहा है। यह कोर्स का सारा सिलेबस इंटरनेशनल एजूकेशन स्टेंडर्ड व मापदंडों को लेकर न्यू एजूकेशन पॉलिसी की तहत तैयार किया गया है।

12वीं के बाद ले सकते हैं दाखिला
12वीं कक्षा किसी भी विषय में पास करने वाले विद्यार्थी इस कोर्स में दाखिल ले सकते हैं। चार वर्ष के इस डिग्री कोर्स के बाद बीएससी अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन में ऑनर्स डिग्री प्रदान की जाती है। यह एक कोर्स है जिसमें अगर छात्र एक वर्ष की पढ़ाई करके कोर्स छोड़ जाता है तो उसे सर्टिफिकेट कोर्स का डिप्लोमा सर्टिफिकेट्स प्रदान किया जाता है। अगर दो वर्ष के बाद कोर्स छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा सर्टिफिकेट, अगर तीन वर्ष बाद पढ़ाई छोड़ता है तो उसे बीएससी की डिग्री और अगर चार वर्ष कंप्लीट करता है तो उसको बीएससी ऑनर्स डिग्री प्रदान की जाती है।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इस कोर्स को पंजाब सरकार के माध्यम से आंगनबाड़ी, प्राइमरी, प्री-प्राइमरी स्कूलों के लिए प्रोफेशनल अध्यापक के लिए जरूरी कोर्स लागू करवाने के लिए भी कोशिश कर रही है। 

विशेष रूप से बनाया गया है सिलेबस
जीएनडीयू के एजुकेशन विभाग के मुखी प्रो. अमित कोस्ट ने बताया कि केंद्रीय शिक्षा विभाग के आदेशों और नई एजुकेशन पॉलिसी की सहायता से ही इस कोर्स का सिलेबस विशेष रूप में तैयार किया गया है। इस की पढ़ाई करने वाले अध्यापक छोटे बच्चों के अंदर के कौशल की पहचान करके उनको उसी तरह की एजुकेशन देंगे ताकि बच्चे बड़े होकर अपने प्रोफेशन के मास्टर बन सकें। 

उन्होंने बताया कि इस तरह के कोर्स अभी तक केवल अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चीन, जापान और न्यूजीलैंड में ही करवाए जा रहे है। खास बात यह है विदेशों में कि यह कोर्स सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने में भी मददगार साबित हो रहे हैं, इसी कारण इस कोर्स की सभी सीटें पहले ही बैच से फुल होती आ रही हैं।

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