इजरायली सेना हमास टारगेट की पहचान करने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रही है। इसमें लैवेंडर और गॉस्पेल नामक एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट की माने तो ये टारगेट को खत्म करने में केवल 20 सेकेंड का समय लेता है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह 90% सटीकता के साथ काम करता है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
बीते कुछ महीनों में एआई ने हर क्षेत्र में अपनी जगह बना ली है, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या मेडिकल, सभी में एआई की झलक दिखाई दे रही है। मगर अब सेना में भी एआई का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हाल ही में मिली एक मीडिया रिपोर्ट में पता चला है कि इजराइल सेना गाजा में लक्षित हमलों के लिए कई आर्टिफिशियल खुफिया सिस्टम का उपयोग कर रही है।
इजरायली सेना लैवेंडर और द गॉस्पेल नामक एआई का इस्तेमाल कर रही है। आइये जानते है कि एआई सेना के लिए कैसे मददगार साबित होगा।
एआई का इस्तेमाल कर रही इजरायल सेना
- लोकल मैगजीन और कॉल से पता चला है कि सेना ने एक समय लैवेंडर नामक एआई प्रोग्राम का उपयोग करके 37,000 हमास टारगेट की पहचान की थी। लेवेंडर एआई का इस्तेमाल बम टारगेट के रूप में हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) के सदस्यों की पहचान करने के लिए किया जा रहा है।
- एक अधिकारी ने बताया कि एआई सिस्टम को तैनात करने के पीछे का विचार मानवीय भागीदारी के कारण होने वाली देरी को खत्म करना है, जो लक्ष्य की पहचान करती है। उन्होंने कहा कि मशीन ने इसे ठंडे दिमाग से किया और इससे यह आसान हो गया।
- अधिकारी ने आगे यह भी बताया कि मैं इस स्तर पर हर लक्ष्य के लिए 20 सेकंड का निवेश करूंगा और हर दिन दर्जनों सेकंड लगाऊंगा। लैवेंडर का उपयोग करने वाले एक अन्य खुफिया अधिकारी ने कहा कि इससे बहुत समय बच गया।
दो एआई सिस्टम का हो रहा उपयोग
- लैवेंडर के साथ-साथ गॉस्पेल नामक एक अन्य एआई-सिस्टम का भी उपयोग किया जा रहा है, जो व्यक्तियों के बजाय इमारतों और संरचनाओं को लक्ष्य बनाने के लिए तैयार किया गया है।
- हालांकि लैवेंडर या द गॉस्पेल के एल्गोरिदम को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट डेटा के बारे में वर्तमान में कोई जानकारी नहीं है। मगर रिपोर्टों के अनुसार, लैवेंडर ने 90 प्रतिशत सटीकता दर पर काम करता है।
- मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लैवेंडर सॉफ्टवेयर बड़े पैमाने पर निगरानी का उपयोग करके गाजा पट्टी के 2.3 मिलियन निवासियों में से अधिकांश से एकत्र की गई जानकारी को देखता है।
- रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि संभावित लक्ष्यों के कम्युनिकेशन प्रोफाइल का उपयोग करके लैवेंडर को प्रशिक्षित करने से कभी-कभी सिस्टम को लागू करने पर गलती से नागरिकों को निशाना बनाया जा सकता है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि लैवेंडर मानव नियंत्रण के बिना ऑटोमेटिकली संचालित होता है, जिससे नागरिक संचार प्रोफाइल वाले कई लोग लक्ष्य बन जाते हैं।