दिल्ली में शिक्षा को लेकर काफी काम हुआ है। दिल्ली की सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों की तरह पढ़ाई हो रही है। दिल्ली के एक हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों को अब तक प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर और फिनलैंड भेजा जा चुका है।

दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों की दीवारों का रंग-रोगन हो चुका है और इनकी बुनियादी संरचना किसी निजी स्कूल से कम नहीं है। साथ ही इनके पाठ्यक्रम में भी बदलाव हुआ है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के 40 अध्यापकों और शिक्षाविदों की एक टीम ने करीब छह महीने में ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ बनाया है।
इस पाठ्यक्रम के अलावा, नर्सरी से लेकर कक्षा सात तक छात्रों के लिए 45 मिनट का ‘हैप्पीनेस पीरियड’ होगा, जिसमें योग, कथावाचन, प्रश्नोत्तरी सत्र, मूल्य शिक्षा और मानसिक कसरत शामिल हैं।
सरकारी स्कूल अब तक खराब और पुरानी शिक्षण पद्धति के लिए बदनाम रहे हैं। मगर, इस प्रशिक्षण से शिक्षकों के शिक्षण कौशल में विकास हुआ है और वे ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन अनुसंधान से रूबरू हुए हैं।
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