न कैश, न कार्ड, न वालेट और न स्मार्ट फोन। चीन में शापिंग का नया रूप उभर रहा है। वहां के लोग बस अपने चेहरे के जरिए सामान खरीद रहे हैं। यह चीन में तेजी से उभर रही नई पेमेंट प्रणाली का हिस्सा है, जो फेसियल (चेहरे की) पहचान पर आधारित है।
इस सिस्टम में केवल चेहरे संबंधी पहचान की जरूरत होती है। चीन अब इस प्रणाली को पूरे देश में लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। अगर ऐसा होता है तो क्यूआर कोड की तकनीक भी पुरानी नजर आने लगेगी।
जानें क्या है फेसियल सिस्टम
फेसियल सिस्टम बहुत आसान है। एक उपभोक्ता स्टोर से अपनी जरूरत के मुताबिक सामान खरीदता है और जब पेमेंट की नौबत आती है तो उसे प्वाइंट आफ सेल (पीओएस) के सामने खड़े होना भर पड़ता है। इन मशीनों में कैमरे लगे होते हैं जो उपभोक्ता की तस्वीर खींचने के साथ ही उनकी पहचान भी कर लेती हैं।
अलग काम के लिए होता रहा है इस तकनीक का इस्तेमाल
फेसियल पेमेंट संबंधी साफ्टवेयर पहले से व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। आम तौर पर इसका इस्तेमाल लोगों की निगरानी करने के लिए किया जाता है।
अभी तक पुलिस और प्रशासन के लोग इसके जरिये अपराधियों को पकड़ने अथवा किसी तरह के असंतोष को कुचलने के लिए कोशिश करते रहे हैं, लेकिन अब इसी तकनीक की मदद से पेमेंट का नया तरीका उभरा है।
चीन में अधिकारी लोगों पर निगाह रखने के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर आलोचना का पात्र बनते रहे हैं। खासकर शिनजियांग सरीखे क्षेत्रों में तो इस तकनीक के बल पर ही चीनी अधिकारी लोगों की निगरानी करते हैं। इसी के चलते इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर सवाल भी गहरा रहे हैं।
सिडनी में विश्वविद्यालय शिक्षा ग्रहण कर रहे शोधकर्ता एडम नी कहते हैं, इस तकनीक में बड़ा खतरा जुड़ा है। सत्ता प्रतिष्ठान (चीन का शासन) इस डाटा का इस्तेमाल लोगों के खिलाफ कर सकता है। इसके जरिये राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा सकता है।
अलीबाबा तकनीक के इस्तेमाल में सबसे आगे
डाटा सुरक्षा और निजता संबंधी चिंताओं के बावजूद उपभोक्ता इस तकनीक को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि यह साफ नजर आ रहा है कि स्टोर्स और मॉल में इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है।
ई-कामर्स की दिग्गज कंपनी अलीबाबा की वित्तीय शाखा अलीपे चीन में इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने के मामले में अग्रणी है। उसने सौ के करीब शहरों में इससे संबंधित डिवाइस स्थापित कर दी हैं।
इसका अपग्रेड सिस्टम स्माइल-टू-पे हाल ही में लांच किया गया है। नई तकनीक और ज्यादा डाटा उपलब्ध कराने का अवसर भी दे रही है। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के शोधकर्ता जेफरी डिंग के मुताबिक, इस डाटा का इस्तेमाल स्टोर्स और मॉल में चोरी रोकने के लिए भी किया जा सकता है।