रात को गरम पानी के साथ दो हरड़ का चूर्ण लें. दिन में दो बार एक-एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें. नीम की छाल, उसवा और कुटकी. इन तीनों का चूर्ण 3-3 ग्राम दिन में दो बार शहद के साथ चाटें. इसके बाद चोपचीनी, मंजीठ और गिलोय का चूर्ण 3-3 ग्राम फांककर ऊपर से एक गिलास दूध पी लें.
सौंफ, गावजबां, गुलाब के फूल तथा मुलहठी सब 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर दो कप पानी डालकर आग पर रख दें. जब पानी जलकर आधा रह जाए तो छानकर उसमें मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें. इससे पेट साफ हो जाएगा और साफ खून बनने की क्रिया शुरू हो जाएगी.
लौकी की सब्जी बगैर नमक के उबली हुई खाने से भी खून की खराबी दूर होती है. 10 ग्राम गुलकंद का सेवन दूध के साथ करें. नीम की छाल को पानी में घिस लें. फिर उसमें कपूर मिलाकर शरीर के रोगग्रस्त भाग पर लगाएं. शरीर पर गोमूत्र मलकर थोड़ी देर तक यों ही बैठे रहें. फिर स्नान कर लें.
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