झारखंड में एक खबर इन दिनों जंगल में आग की तरह फैल रही है कि भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य और सबसे खूंखार नक्सली नेता देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत हो गई. उसकी उम्र महज 53 साल थी. बताया जाता है कि वो हिंसक नक्सलियों का मास्टरमाइंड था. इस नक्सली को 9 राज्यों की पुलिस तलाश कर रही थी.
दिल के दौरे से हुई मौत
पुलिस को अरविंद का शव नहीं मिला है. सूत्रों की मानें तो नक्सली अरविंद कई माह से बीमार था. अरविंद की मौत बुधवार की सुबह दस बजे बूढ़ा पहाड़ पर हुई. उधर इस बाबत पूछे जाने पर गढ़वा के एसपी ने कहा कि जब तक शव नहीं मिल जाता तब तक मौत की पुष्टि आधिकारिक रूप से नहीं की जा सकती.
सरेंडर कर दें नक्सली
साथ ही एसपी ने ये भी कहा कि पुलिस लगातार प्रयास में थी कि बीमार अरविंद सरेंडर कर दे, उसका इलाज पुलिस ही कराती, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. एसपी ने अन्य नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि अभी भी जो नक्सली बूढ़ा पहाड़ पर काबिज हैं वो सरेंडर कर दे. राज्य सरकार ने अरविंद के सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था. बताया जाता है कि नक्सली नेता अरविंद लंबे समय से बीमार चल रहा था और ऑक्सीजन पर था.
नक्सलियों का गढ़ है बूढ़ा पहाड़
अरविंद पिछले दो सालों से अपने साथियों के साथ बूढ़ा पहाड़ पर अपना स्थायी ठिकाना बनाये हुए था. बूढ़ा पहाड़ झारखंड और छतीसगढ़ की सीमा पर गढ़वा जिले में है. इस पहाड़ को नक्सलियों से आजाद कराने के लिए पुलिस भी दो सालों से लगातार अभियान चला रही है.
बूढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों को घेरने के लिए करीब 2000 सुरक्षा बल के जवान डेरा डाले हुए हैं. कई बार ख़बर आई कि अरविंद जी को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है. लेकिन, यह नक्सली नेता कभी पुलिस या सुरक्षा बलों के हत्थे नहीं चढ़ा.
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