चीन अपनी चालाकियों से बाज नहीं आ रहा है। चीन अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय सेना की जासूसी करा रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में जानकारी प्राप्त करने के प्रयास में चीन की हरकतों का पता चला है। एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के इंटेलिजेंस द्वारा भारतीय सेना की आवाजाही और सीमा पर जारी निर्माण कार्य की जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की जा रही है।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं। बता दें कि भारतीय खुफिया एजेंसी कराकोरम के पास दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ), पैंगोंग त्सो नदी के किनारे, सिक्किम और अरुणाचल में एलएसी के पास हर तरह की गतिविधियों की जानकारी इकट्ठा करने में सक्षम है। चीनी कोशिशों की जानकारी सेना के शीर्ष अधिकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े तमाम आला-अधिकारियों तक पहुंचा दी गई है।
भारतीय और चीनी सैनिक पिछले आठ महीनों से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास आमने-सामने हैं। दोनों देशों के बीच गतिरोध ठंड के महीने में भी जारी है। दोनों पक्षों के बीच आठ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सीमा पर तनाव कम करने की सारी कोशिशें नाकाम साबित हुई हैं।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो के दक्षिण में 8 जनवरी को सुबह-सुबह एक अज्ञात चीनी सैनिक की गिरफ्तारी उस समय की गई, जब तकनीकी साधनों के माध्यम से बॉर्डर को ट्रैक किया जा रहा था। खुफिया एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि यह चीनी सैनिक के द्वारा की गई कोई पहली कोशिश नहीं थी। पीएलए की एक आधिकारिक वेबसाइट ने दावा किया था कि अंधेरे और जटिल भौगोलिक परिस्थिति के कारण पीएलए रक्षा बल का एक सिपाही शुक्रवार (8 जनवरी) सुबह-सुबह सीमा पर भटक गया। आपको बता दें कि भारतीय सेना ने 11 जनवरी को उसे चुशुल मोल्दो प्वाइंट पर चीन को सौंप दिया था।
इसी तरह, पीएलए कॉर्पोरल वांग हां लॉन्ग को भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में 19 अक्तूबर को पकड़ा था और 21 अक्तूबर को चीन को वापस सौंप दिया था। पकड़े गए कॉर्पोरल ने दावा किया कि वह स्थानीय चरवाहों के खोए हुए याक का पता लगाने में मदद करने की कोशिश कर रहा था।
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