भारतीय वायु सेना के जांबाजों ने आतंकी मसूद अजहर के जिस टेरर कैंप को तबाह किया, वो टेरर कैंप थ्री स्टार था. उसमें शीशमहल और मस्कीन महल थे. उसमें आतंकियों के लिए हर सुख सुविधा थी. इतना ही नहीं आतंकियों के टेरर कैंप तक जाता था एक नेशनल हाईवे-15 और उसी कैंप में होती थी आतंकियों की ट्रेनिंग.
जैश के सरगना आतंकी मसूद अजहर ने बालाकोट में 3 स्टार शीशमहल बना रखा था. बालाकोट के आतंकी कैंप में था शानदार इजाज़तनामा और शीश महल तक जाता था आतंक का नेशनल हाईवे-15. बालाकोट के आतंकी कैंप के ध्वस्त होने की ख़बर सारी दुनिया ने देखी. सबने देखा कि कैसे वायु सेना के जांबाजों ने आतंक की फैक्ट्री को धुआं धुआं कर दिया है.
लेकिन हम आपको आतंकी मसूद अजहर के कैंप की वो एक्सक्लूसिव सच्चाई बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आपकी आंखे फटी रह जाएंगी. आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि मसूद अजहर का आतंकी कैंप किसी अय्याशगाह से कम नहीं था. ऐसी कोई सुख सुविधा नहीं थी जो बालाकोट में जैश के कैंप में न रही हो.
जैश का फिदायिन टेरर कैंप
पाकिस्तान के मानसेहरा नारन जलखांड रोड पर मौजूद है जैश-ए-मोहम्मद का टेरर कैंप. और इसे कहते हैं नेशनल हाईवे 15. इस आतंकी ट्रेनिंग कैंप में 600 से ज्यादा आतंकी एक साथ 5 से 6 बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रहते थे. इन आतंकियों को मदरसा आयशा सादिक की आड़ में फ़िदायीन हमले करने की ट्रेनिंग दी जाती थी.
कैसे होती थी आतंकियों की भर्ती?
बालाकोट के इस आतंकी कैंप में जैश के मास्टरमाइंड किस तरीके से आतंकवादियों को ब्रेनवॉश कर उनको आतंकी ट्रेनिंग में शामिल करते थे उसका पूरा कच्चा चिट्ठा भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है.
मुज्जफराबाद के “सवाई नाला” में मौजूद जैश के ऑफिस में सबसे पहले आतंकियों को छांटा जाता था, फिर उनके लिए “इजाजतनामा” तैयार किया जाता था. फिर उसे मुजफ्फराबाद के सवाई नाला में मौजूद आतंकी कमांडर की साइन वाली चिट्ठी दी जाती थी. इस चिट्ठी में “अल रहमत ट्रस्ट” का स्टैंप लगा होता था. इस स्टैंप के लगे होने का मतलब था कि उस आतंकी की भर्ती जैश में हो चुकी है.
मुजफ्फराबाद के इस ऑफिस में एक रात रुकने के बाद गाड़ी के जरिए “बालाकोट” के आतंकी कैम्प में भर्ती हुए इन आतंकवादियों को ले जाया जाता था और फिर होता था उन्हें फ़िदायीन या आत्मघाती बनाने का सिलसिला शुरू.
6 एकड़ में फैले बालाकोट के इस फ़िदायीन फैक्ट्री में मुख्य ट्रेनिंग कैम्प मदरसे के पास था. इस मदरसे के दो दरवाज़े थे. इसमे “शीश महल” और “मस्कीन महल” दो अहम जगह थी. पाकिस्तानी सेना और ISI यहां रहने वाले आतंकियों को थ्री स्टार सुविधा मुहैया कराती थी, ताकि वो यहां से वापस न जा सकें. यहां आतंकियों के कमांडर के साथ-साथ मसूद अजहर और उसका भाई अब्दुल रऊफ आतंकियों का ब्रेनवॉश किया करते थे.
वहीं, पाक आर्मी के रिटायर्ड अफसर और आईएसआई के अधिकारी संयुक्त रूप से बालाकोट के इस कैंप में मौजूद आतंकवादियों को हथियारों और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दिया करते थे. बालाकोट के इस कैंप में 50 आतंकी हर समय ट्रेनिंग लिया करते थे. जिनमें से 20 से 25 आत्मघाती हमलावर होते थे.
बालाकोट के इस कैम्प में जैश के आतंकियों को 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती थी. ये ट्रेनिंग तीन दौर की होती थी-
1. दौरा-ए-ख़ास या एडवांस कॉम्बैट कोर्स
2 दौरा-अल-राद या एडवांस आर्म्ड ट्रेनिंग कोर्स
3. रिफ्रेशर ट्रेनिंग प्रोग्राम.
आतंकवादियों को बालाकोट के जैश कैम्प में AK47, LMG, रॉकेट लॉन्चर, UBGL और हैंड ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. जैश के आतंकियों को यहां पर जंगल सर्वाईवल, गोरिल्ला युद्ध, कॉम्युनिकेशन, इंटरनेट और GPS मैप की ट्रेनिंग दी जाती थी. यही नहीं आतंकियों को, तलवारबाजी, तैराकी और घुड़सवारी की ट्रेनिंग भी दी जाती थी.
बालाकोट से ट्रेंड आतंकियों को POK के रास्ते कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा भेजा जाता था. 26 फरवरी के हमले में भारतीय युवा सेना के विमानों ने इस कैंप को नेस्तनाबूद कर दिया. अब बारी है मसूद अजहर जिसका बचना बेहद मुश्किल हो गया है.
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