अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहीम के कई देशों में फैले अवैध धंधों को संभालने में सहयोग देने वाले जाबिर मोती ने हाल के दिनों में खुदकुशी की तीन बार कोशिश की। ब्रिटिश कोर्ट ने कहा है कि जाबिर ने ऐसा अमेरिका के लिए प्रत्यर्पण से बचने के लिए किया। वह अवसाद की स्थिति में है। अमेरिका की अर्जी पर जाबिर के प्रत्यर्पण की सुनवाई में पाकिस्तानी अधिकारी भी पेश हो रहे हैं। वे जाबिर के पाकिस्तानी नागरिक होने का हवाला देते हुए उसे अमेरिकी हाथों में जाने से बचाना चाहते हैं।
जाबिर को 2018 में ब्रिटिश एजेंसी स्कॉटलैंड यार्ड ने लंदन से गिरफ्तार किया था। उस पर दाउद के नेटवर्क में शामिल होकर नशीले पदार्थो की तस्करी, रंगदारी वसूलने और धन के अवैध लेनदेन के मामले अमेरिका में दर्ज हैं। इन मामलों में अमेरिकी एजेंसियां हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करना चाहती हैं।
इसीलिए अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट में जाबिर के प्रत्यर्पण की अर्जी दी है। अमेरिका की ओर से बहस में शामिल वकील जॉन हार्डी ने जाबिर के दाउद इब्राहीम और अनीस इब्राहीम का गुर्गा होने का तर्क दिया। दोनों की भारत को 1993 में हुए बम धमाकों के लिए तलाश होने की बात कही।
अमेरिका में दर्ज मामलों की जांच के लिए प्रत्यर्पण की मांग की। जबकि जाबिर के वकीलों ने उसे मानसिक रूप से बीमार बताते हुए उसे प्रत्यर्पित न करने बल्कि इलाज के लिए अस्पताल भेजे जाने की अपील की। उल्लेखनीय है कि जाबिर लंदन की उसी वंड्सवर्थ जेल में रखा गया है जिसमें भारत में 14 हजार करोड़ का बैंक घोटाला करके भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी को रखा गया है।