आम आदमी पार्टी के संस्थापक नेताओं में शामिल रहे कुमार विश्वास पार्टी से राज्यसभा टिकट न मिलने पर निराश हैं. हालांकि, अभी उन्होंने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा है, न ही पार्टी ने उन्हें बाहर निकाला है.
कुमार विश्वास पार्टी में रहते हुए पार्टी नेताओं के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. उनकी स्थिति केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता शत्रुघ्न सिन्हा की तरह हो गई है. शत्रुघ्न सिन्हा भी पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अरुण जेटली से लेकर तमाम नेताओं और उनके फैसलों पर सवाल उठाते रहते हैं, लेकिन उन पर भी बीजेपी ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
आइए कुमार विश्वास और शत्रुघ्न सिन्हा के ताजा बयानों से जानते हैं कि कैसे विश्वास अपनी पार्टी के ‘शत्रु’ बनते जा रहे हैं.
‘सच बोलने की सजा मिली’
राज्य सभा का टिकट नहीं मिलने पर जनवरी 2018 में कुमार विश्वास ने कहा था कि उन्हें सर्जिकल स्ट्राइक, पंजाब में अतिवादियों पर नरम रहने, जेएनयू मामले पर, सैनिकों की शहादत पर सच बोलने का दंड मिला है. विश्वास ने कहा था, ‘अरविंद ने एक बार मुझसे कहा था कि आपको मारेंगे, पर शहीद नहीं होने देंगे. मैं अपनी शहादत स्वीकार करता हूं, बस एक निवेदन है कि युद्ध का भी एक छोटा सा नियम होता है. शव के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाती. शहीद तो कर दिया, पर शव के साथ छेड़छाड़ न करें और दुर्गंध न फैलाएं.’
‘मेरे शव से छेड़छाड़ न हो’
इसके बाद दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कुमार विश्वास पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया था. इस पर कुमार विश्वास ने 5 जनवरी 2018 को कहा था, ‘मेरे शव के साथ छेड़छाड़ न की जाए, मुझे पता है कि इस माहिष्मति की शिवगामी कोई और है. हर बार नए कटप्पा को पेश किया जाता है.’
‘जयकारा नहीं लगाऊंगा’
नवंबर 2017 में कुमार विश्वास ने साहित्य आज तक कार्यक्रम में इस कविता के जरिए केजरीवाल पर हमला बोला था, ‘पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तोलो, ये संबंधों के तुपाई है, षड्यंत्रों में मत तोलो.’ कुमार ने दूसरी कविता से भी केजरीवाल पर निशाना साधा था, ‘वो बोले दरबार सजाओ, वो बोले जयकार लगाओ, वो बोले हम जितना बोलें तुम केवल उतना दोहराओ.’ उन्होंने कहा था कि वह कबीर और दिनकर के वंशज हैं और चुप नहीं रह सकते.
‘अमानतुल्ला खां पर पार्टी से नाराजगी’
नवंबर 2017 में ही पार्टी की स्थापना के पांच साल पूरे होने पर राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले कुमार विश्वास ने ट्वीट किया था, ‘सत्य, आशा, उत्साह, संघर्ष, उहापोह, जय-पराजय, विचलन, घात-प्रतिघात, बेचैनी, पुनर्स्थापन, विजय, अपेक्षाओं, उपेक्षाओं, संभावनाओं से भरे पांच वर्षों के अद्भुत, अनुभवजन्य ईश्वरीय क्षणों में उन सब का आभार जो जुड़े-मुड़े रहे. सत्य अवश्य विजयी होगा.’ इस सम्मेलन में आप नेता अमानतुल्ला खां के समर्थकों ने कुमार विश्वास के खिलाफ नारेबाजी भी की थी. अमानतुल्ला खां को पार्टी से निकालने और फिर पार्टी में लेने के मामले पर विश्वास की पार्टी से खुलकर नाराजगी सामने आई थी.
पीएम पर हमला न बोलें केजरीवाल
कुमार विश्वास ने अप्रैल 2017 में दिल्ली एमसीडी चुनावों और पंजाब विधानसभा चुनावों में हार के बाद सवाल खड़े किए थे. विश्वास ने कहा था, ‘हम चुनाव ईवीएम के कारण नहीं हारे, बल्कि जनता में हमारे लिए गुस्सा है. हमने उनका भरोसा खो दिया है.’ उन्होंने कहा था कि केजरीवाल को सर्जिकल स्ट्राइक के मामले में प्रधानमंत्री पर हमला नहीं करना चाहिए था. कुमार ने पंजाब चुनावों में टिकट बंटवारे में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया था.
आप ही भ्रष्ट हो जाओगे तो…
इससे पहले, अप्रैल 2017 को कुमार विश्वास ने यू-ट्यूब वीडियो के जरिए भी केजरीवाल पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था, ‘अगर आप भ्रष्टाचार मुक्ति के नाम पर दिल्ली में सरकार बनाएंगे और उसके बाद आप ही के लोग भ्रष्टाचार के घेरे में होंगे और आप मौन हो जाएंगे या उन्हें बचाने की कोशिश करेंगे तो लोग आपसे सवाल पूछेंगे.’
‘शहादत’ के लिए क्यों बेकरार हैं विश्वास?
कुमार विश्वास को पहले ही भनक लग चुकी थी कि उन्हें राज्य सभा टिकट नहीं मिलने जा रहा. हालांकि, उन्होंने कोशिश नहीं छोड़ी. कुमार कह चुके हैं कि उन्हें बीजेपी से राज्य सभा का टिकट मिल रहा था, पर उन्होंने पार्टी नहीं बदली. कुमार विश्वास चाहते हैं कि पार्टी उन्हें निकाले न कि वह पार्टी छोड़कर जाएं.
कुमार ने दावा किया था कि उनसे केजरीवाल ने कहा था कि ‘आपको शहीद नहीं होने देंगे’. शहीद यानी पार्टी से निकाला जाना. कुमार की बीजेपी नेताओं से करीबी बताई जाती है और फरवरी 2016 में उनके जन्मदिन की पार्टी में आरएसस नेताओं, एनएसए अजीत डोभाल के अलावा बीजेपी के रविशंकर प्रसाद, विजय गोयल, मनोज तिवारी और सुधांशु त्रिवेदी जैसे नेता मौजूद थे. कुमार खुद पार्टी छोड़कर इस बात पर मुहर नहीं लगवाना चाहते कि वह पद के लिए दूसरी पार्टी में गए.
शहादत और सहानुभूति का कार्ड
अगर कुमार को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाला जाता है तो वह खुद को शहीद बताकर सहानुभूति कार्ड खेल सकते हैं और उनके पास दूसरी पार्टी में जाने का मजबूत तर्क होगा.
‘वन मैन शो, टू मैन आर्मी’
इसी तरह शत्रुघ्न सिन्हा भी जब-तब मोदी सरकार पर हमला बोलते रहते हैं. सिन्हा ने मोदी और अमित शाह के लिए दिसंबर 2017 में कहा था, ‘वन मैन शो और टू मैन आर्मी’ ने हमारे सबसे योग्य व वरिष्ठ नेताओं जैसे सम्मानित आडवाणीजी, मुरली मनोहर जोशीजी और सबसे योग्य कीर्ति आजाद की उपेक्षा की है.’
‘मंत्री हैं या चाटुकारों की टोली’
सिन्हा ने नवंबर 2017 में केंद्र सरकार को ‘एक आदमी की सेना’ और ‘दो आदमी का शो’ करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ‘चाटुकारों की टोली’ हैं और इनमें से 90 फीसदी को कोई नहीं जानता.
‘सरकार नहीं, लोगों को मनाना चाहिए जश्न’
नवंबर 2017 में ही शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट के जरिए नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला था और कहा था, ‘नोटबंदी से लोग खुश होते तो जश्न सरकार नहीं, लोग मना रहे होते.’
पार्टी के नहीं, शीर्ष नेताओं के खिलाफ
बीजेपी के शत्रुघ्न सिन्हा और आम आदमी पार्टी के कुमार विश्वास में एक समानता है कि दोनों नेता अपनी पार्टी के खिलाफ नहीं बोलते हैं. सिन्हा पार्टी के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों- नरेंद्र मोदी, अमित शाह, अरुण जेटली और स्मृति ईरानी के खिलाफ मोर्चा खोलते रहते हैं. इसी तरह विश्वास भी अपनी पार्टी के शीर्ष नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ही बोलते हैं.