सरकार ने कहा है कि चीन में कोरोनावायरस के कहर से भारतीय उद्योगों के कच्चे माल की आपूर्ति का चेन जरूर प्रभावित हुआ है, लेकिन फिलहाल इसका असर तैयार उत्पादों की कीमतों पर नहीं पड़ा है।
घरेलू उद्योग पर इसके प्रकोप के प्रभाव से कैसे नपिटा जाए, इस पर आज -बुधवार- को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक करेंगी। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यायल के परामर्श से इससे निपटने के उपायों की घोषणा की जाएगी।
मंगलवार को इस बारे में उद्योग जगत और बैंक के प्रतिनिधियों से मिलने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कोरोनावायरस की वजह से अभी तक भारतीय बाजार में किसी वस्तु की कीमत में बढ़ोतरी की सूचना नहीं है।
लेकिन औषधी, कपड़ा, रसायन, इलेक्ट्रोनिक्स, सौर ऊर्जा, सर्जिकल्स, उर्वरक, टेलीकॉम, मेटल, कॉपर, शीशा, मोबाइल फोन निर्माण, स्वास्थ्य क्षेत्र आदि को कच्चे माल की आपूर्ति में दिक्कत होने लगा है। इनका सप्लाई चेन प्रभावित हुआ है।
सीतारमण ने कहा कि वह बुधवार को विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक करेंगी और फिर प्रधान मंत्री कार्यालय के परामर्श से स्थिति से निपटने के लिए कदमों की घोषणा करेंगी। भारत सरकार के महत्वाकांक्षी पहल मेक इन इंडिया पर इसके प्रभाव संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि इस समय इसके प्रभाव के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी।
वह विभिन्न विभागों के सचिव से इस बारे जानेंगी, उसके बाद ही कुछ बताएंगी। हालांकि उन्होंने कहा कि औषधि, इेक्ट्रोनिक्स, रसायन, सौर ऊर्जा के उपकरण आदि बनाने वाले उद्योग ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि उनका कच्चे माल का स्टॉक चुकने ही वाला है। टायर और पेंट बनाने वाली फैक्ट्रियों में भी रसायनों की भी तंगी हो रही है।
घरेलू बाजार में दवा और सर्जिकल्स की कमी होने लगी है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि दवाओं या चिकित्सा उपकरणों की कमी की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। इसके उलट फार्मा उद्योग कुछ वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के लिए कह रहा है।
गौरतलब है कि कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए बीते 31 जनवरी को सरकार ने इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में एक सूची निकाल कर कुछ वस्तुओं के निर्यात को खोला गया था। उद्योग जगत वस्तुओं की इसी सूची में कुछ और सामान शामिल करने की बात कह रहे हैं।
उन्होंने उम्मीद जतायी कि शीघ्र ही यह संकट खत्म होगा और कच्चे माल का आयात शुरू होगा। इसलिए हमें अपने बंदरगाहों पर क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आने वाले महीनों में स्थिति में सुधार होने पर चीन से कच्चे माल के आयात बढ़ने की वजह से भीड़-भाड़ हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि भारत के मैन्यूफैक्चरिंग और दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक, कपड़ा और रसायनों के उद्योग में मध्यवर्ती वस्तुओं के लिए चीन पर कुछ ज्यादा ही आश्रित है। इस समय हर साल करीब 30 अरब डॉलर का कच्चा माला वहीं से आ रहा है।