कोरोना के चलते नौकरियां चली गईं, कारोबार मंदी की चपेट में आ गया। ईश्वर के घर भी इसकी मार से नहीं बच सके। कोरोना काल में विभिन्न धार्मिक स्थलों की दान राशि में 70 फीसद तक की कमी आई है। अब प्रबंधकों को इनकी व्यवस्था बदलनी पड़ रही है।
लुधियाना के श्री गीता मंदिर शनिधाम की प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप ढल्ल कहते हैं, ‘कोरोना से पहले भरपूर चढ़ावा व दानराशि आती थी। उन दिनों चढ़ावे के रूप में जो सिक्के आते थे, उन्हेंं बैंक लेता नहीं था। हमने उन्हें बोरी में भरकर रख दिया था। अब हालात ऐसे हैं कि मंदिर के रूटीन खर्च के लिए भी फंड नहीं है। सिक्कों से कर्मचारियों के वेतन का भुगतान कर रहे हैं। शनि मंदिर में तेल चढ़ाने के लिए भी बेहद कम लोग आ रहे हैं।’
जामा मस्जिद के नायब शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उसमान ने बताया कि मस्जिद का खर्च निकालना मुश्किल हो गया है। बैंक में जो जमा पूंजी थी वह रखरखाव में खर्च हो गई। मदरसे बंद करके बच्चों को घर भेज दिया। रमजान पर हर वर्ष लगभग छह लाख की कीमत वाला नया कारपेट लेते थे। इस बार पुराने को ही ड्राईक्लीन करवाकर काम चला लिया। बिजली का बिल कम करने के लिए आधे एसी बंद कर दिए। बड़ी लाइट्स की जगह एलईडी लाइट्स लगा ली हैं।
गुरुद्वारा श्री दुखनिवारण साहिब के मुख्य सेवादार प्रितपाल सिंह कहते हैं, ‘हम पारदर्शिता के लिए हर महीने खर्च व चढ़ावे की जानकारी संगत से साझा करते हैं। चढ़ावे में ही दस लाख रुपये की कमी आ गई है। इसके बावजूद हमने लंगर में कोई कमी नहीं रखी। गुरुद्वारा साहिब में चल रही कंस्ट्रक्शन आदि का काम संगत के सहयोग चल रहा है।’ श्री दुर्गा माता मंदिर के ट्रस्टी कृष्णचंद गुप्ता बताते हैं कि चढ़ावे में 70 फीसद की कमी आ चुकी है। कर्मचारियों के वेतन, अस्पताल का प्रबंधन चलाना मुश्किल हो रहा है। कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे।
दुकानों में रखी दानपेटियों में अपनी जेब से राशि डाल रहे दुकानदार
शहर के बड़े शोरूम, दुकानों व कारोबारी परिसरों में धाॢमक स्थलों की दान पेटियां रखी गई हैं। उनसे भी नाममात्र की ही राशि निकल रही है। जिन दुकानों पर यह दान पेटियां रखी गई हैं, उन दुकानदारों को अपनी जेब से राशि डालनी पड़ रही है।
गोधाम में चारे की दिक्कत
श्री गोविंद गोधाम प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन सुंदरदास धमीजा ने बताया कि गोधाम में 2200 गाय हैं। इनमें से ज्यादातर बीमार व वृद्ध हैं। इन दिनों न चढ़ावा आ रहा है न ही दान। इनके चारे के लिए दिक्क्त हो रही है। सब ट्रस्टी मिलकर ही काम चला रहे हैं। अलग-अलग जगह रखवाई गईं दान पेटियां भी खाली निकल रही हैं।