आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ कोयला उद्योग में गुरुवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू हुई। इसे सफल बनाने के लिए धनबाद के बीसीसीएल और ईसीएल क्षेत्र में मजदूर संगठनों के नेता-पदाधिकारी अपने समर्थकों के साथ सक्रिय हैं। इसमें आउटसोर्सिंग कंपनी के कर्मचारी भी शामिल हैं। धनबाद कोयलांचल में हड़ताल के कारण कोयले का उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित है।
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार की शाम मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ हड़ताल टालने के लिए वर्चुअल बैठक की। बैठक विफल होने के बाद मजदूर संगठन हड़ताल पर चले गए। 2 से 4 जुलाई तक तीन दिवसीय हड़ताल का गुरुवार को पहला दिन है। इसमें बीएमएस, इंटक, एचएमएस, सीटू, एटक सहित कई अन्य संगठन शामिल हैं। इधर हड़ताल की स्थिति को लेकर कोल इंडिया प्रबंधन लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति पर जायजा ले रहा है। कोल इंडिया व कोयला मंत्रालय तक रिपोर्ट भेजी जा रही है।
हड़ताल को सफल बनाने के लिए जनरल शिफ्ट से ही बीसीसीएल, ईसीएल व सीसीएल के परियोजना क्षेत्रों में मजदूर संगठन के नेता सक्रिय दिखे। अधिकारियों की टीम को डयूटी पर आने वाले कर्मियों की हाजिरी लगाने के लिए तैनात किया गया था। संयुक्त मोर्चा ने इस बार हड़ताल को सफल करने के लिए हर स्तर पर तैयार कर रखी है। धनबाद में बीसीसीएल में 43500 श्रमशक्ति है। प्रथम पाली में करीब 26 हजार श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज होती है।
- मजदूर संगठन की प्रमुख मांगें
- कोयले की कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लिया जाए।
- कोयला उद्योग के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
- सीएमपीडीआइएल को कोल इंडिया से अलग न किया जाए।
- ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी के समझौता को पूरी तरह से लागू करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
- पांचवें वेतन समझौता के अनुसार 9.3.0 क्लोज के तहत मेडिकल अनफिट कामगारों के आश्रित को नौकरी।